नयी दिल्ली, नौ सितंबर केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोई भी वैज्ञानिक संस्था यह नहीं बताती है कि स्कूलों को फिर से खोलने के लिए कोविड-19 के खिलाफ बच्चों का टीकाकरण एक शर्त होनी चाहिए, हालांकि शिक्षकों, विद्यालय कर्मियों और अभिभावकों का टीकाकरण वांछनीय है।
एक संवाददाता सम्मेलन में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा कि क्या बच्चों को टीका लगाया जाना है और उनमें से किसे टीका दिया जाना चाहिए, यह एक वैज्ञानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य चर्चा का विषय बन गया है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ कुछ ही देशों ने अब तक बच्चों का टीकाकरण शुरू किया है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण को छोड़कर स्कूलों को खोलने के लिये महामारी से संबंधित अन्य स्थितियां सुरक्षित होनी चाहिए।
पॉल ने जोर देकर कहा कि स्कूल खोलने के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण है हवा की समुचित निकासी, बैठने की व्यवस्था, कक्षा में मास्क पहनने के बारे में मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करना।
उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में बताया, “कोई वैज्ञानिक निकाय, महामारी विज्ञान, कोई सबूत नहीं बताता है कि स्कूलों को फिर से खोलने के लिए कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण एक शर्त होनी चाहिए। शिक्षकों, अन्य स्कूल कर्मचारियों और अभिभावकों का टीकाकरण हालांकि वांछनीय है।”
उन्होंने कहा, “विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोई अनुशंसा भी नहीं है कि हमें कम मृत्यु दर और अलक्षणी संक्रमण के ज्यादा मामलों को देखते हुए उस दिशा में बढ़ना चाहिए। हम एक राष्ट्र और सरकार के तौर पर बच्चों में संभावित उपयोग के लिए हमारे टीकों के वैज्ञानिक सत्यापन की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।”
पॉल ने कहा कि जाइडस के टीके को बच्चों के लिये पहले ही लाइसेंस दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इसे कब और कैसे लगाया जाएगा इस पर वैज्ञानिक निकायों द्वारा चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिये कोवैक्सीन का परीक्षण पूरा होने के करीब है।
हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई लिमिटेड को कुछ शर्तों के साथ पांच से 18 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों पर स्वदेशी रूप से विकसित कोविड-19 टीके के दूसरे व तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण करने की अनुमति दी गई है।
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