लाइव न्यूज़ :

कोई भी धनराशि गंभीर दुर्घटना के बाद पीड़ित के आघात, दर्द और पीड़ा को नहीं मिटा सकता, मुआवजे से पीड़ित की परेशानी में मदद मिलती है, कर्नाटक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 24, 2022 16:20 IST

कर्नाटक के बीदर में सरकारी अस्पताल के निर्माण के दौरान घायल हुई एक महिला श्रमिक को 9.30 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करने का आदेश देते हुए शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की।

Open in App
ठळक मुद्देपीड़ित व्यक्ति को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।अपीलकर्ता 22 जुलाई, 2015 को दूसरी मंजिल से भूतल पर गिर गई थी।रीढ़ की हड्डी सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों की हड्डियां टूट गईं।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कोई भी धनराशि या अन्य भौतिक मुआवजा किसी गंभीर दुर्घटना के बाद पीड़ित के आघात और पीड़ा को नहीं मिटा सकता, लेकिन मुआवजे से पीड़ित की परेशानियों को कम करने में कुछ हद तक मदद मिलती है।

न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि दिव्यांगता के प्रकार को ध्यान में रखते हुए पीड़ित व्यक्ति को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, "यद्यपि कोई भी धनराशि या अन्य भौतिक मुआवजा गंभीर दुर्घटना के बाद पीड़ित के आघात, दर्द और पीड़ा को नहीं मिटा सकता (या किसी प्रियजन के जाने के नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता), लेकिन मौद्रिक मुआवजा कानून के लिए ज्ञात तरीका है, जिससे समाज पीड़ितों को मदद के कुछ उपायों का आश्वासन देता है।’’

कर्नाटक के बीदर में सरकारी अस्पताल के निर्माण के दौरान घायल हुई एक महिला श्रमिक को 9.30 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करने का आदेश देते हुए शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की। सिर पर सेंटरिंग प्लेट गिरने के कारण अपीलकर्ता 22 जुलाई, 2015 को दूसरी मंजिल से भूतल पर गिर गई थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने माना है कि उसकी रीढ़ की हड्डी सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों की हड्डियां टूट गईं। इसने कहा कि आदर्श रूप से, कर्मचारियों को रोजगार के खतरों के लिए मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा, "इसमें कोई भी व्यावसायिक बीमारी या औद्योगिक दुर्घटना भी शामिल है, जिसकी चपेट में कर्मचारी रोजगार के दौरान आ सकता है, जो दिव्यांगता या मृत्यु का कारण बन सकती है।" पीठ ने कहा, "अपीलकर्ता की कार्यात्मक अक्षमता 100 प्रतिशत के रूप में मूल्यांकन योग्य है और तदनुसार मुआवजे का निर्धारण किया जाना चाहिए।" 

टॅग्स :कर्नाटकसुप्रीम कोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

क्राइम अलर्टKarnataka: बेलगावी में स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म, 2 आरोपी गिरफ्तार

भारतSupreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

भारतKarnataka Politics: एक बार फिर ब्रेकफास्ट टेबल पर सिद्धारमैया-शिवकुमार, डिप्टी सीएम के घर पहुंचे CM सिद्धारमैया

क्रिकेटटीम इंडिया से बाहर, 10 चौका, 8 छक्का, 50 गेंद और नाबाद 113 रन?, त्रिपुरा बॉलर पर टूटे इशान किशन

क्रिकेटकर्नाटक राज्य क्रिकेट संघः क्या फिर से बाजी मार पाएंगे पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद?, केएससीए चुनाव में केएन शांत कुमार दे रहे टक्कर

भारत अधिक खबरें

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत

भारतआखिर गरीब पर ही कार्रवाई क्यों?, सरकारी जमीन पर अमीर लोग का कब्जा, बुलडोजर एक्शन को लेकर जीतन राम मांझी नाखुश और सम्राट चौधरी से खफा

भारतलालू प्रसाद यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव पर ₹356000 बकाया?, निजी आवास का बिजली कनेक्शन पिछले 3 साल से बकाया राशि के बावजूद चालू

भारत2026 विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में हलचल, मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की आधारशिला, हुमायूं कबीर ने धर्मगुरुओं के साथ मिलकर फीता काटा, वीडियो

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल