बांग्लादेश में छिपकर एनएलएफटी अवैध वसूली, अपहरण की वारदात को अंजाम दे सकता है:रिपोर्ट
By भाषा | Updated: June 30, 2021 21:20 IST2021-06-30T21:20:51+5:302021-06-30T21:20:51+5:30

बांग्लादेश में छिपकर एनएलएफटी अवैध वसूली, अपहरण की वारदात को अंजाम दे सकता है:रिपोर्ट
(जयंत भट्टाचार्य)
अगरतला, 30 जून प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) पड़ोस के बांग्लादेश में छिपकर आने वाले महीनों में अवैध वसूली और अपहरण की घटनाओं को अंजाम दे सकता है। सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी एक रिपोर्ट में यह आशंका जतायी हैं।
राज्य एवं केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा हाल में तैयार इस रिपोर्ट, जिसकी प्रति पीटीआई के पास भी उपलब्ध है, में कहा गया है कि उग्रवादी संगठन वित्तीय हालत खराब होने और कई उग्रवादियों के आत्मसमर्पण करने से कमजोर पड़ने के बावजूद सक्रिय है और इसके कई नेता बांग्लादेश में जबकि कुछ म्यांमा और मिजोरम में छिपे हुए हैं।
इस संगठन को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1997 में प्रतिबंधित कर दिया था। ऐसा माना जाता है कि कभी 500 उग्रवादियों वाले इस संगठन में अब करीब 40 सदस्य ही बचे हैं।
अगरतला में हाल में हुई एक बैठक के दौरान तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया कि प्रतिबंधित संगठन के नेताओं के विवरण, संगठन के ढांचे और इनके शिविरों के संबंध में किए गए विचार-विमर्श के मुताबिक, संगठन में फिलहाल करीब 40 सदस्य हैं और इसके अधिकतर नेता बांग्लादेश में हैं।
हालांकि, रिपोर्ट में बांग्लादेशी सुरक्षा बलों द्वारा चिट्टागौंग पहाड़ी क्षेत्र में उग्रवादियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जाने की सराहना भी की गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, संगठन का स्वयंभू महासचिव उत्पल देबवर्मा, स्वयंभू वित्त सचिव सोनाधन देबवर्मा और युवा मामलों का स्वयंभू सचिव सचिन देबवर्मा बांग्लादेश में छिपे हैं जबकि ऐसा माना जाता है कि संगठन का सलाहकार बिस्व मोहन देबवर्मा मिजोरम में और संगठन का स्वयंभू अध्यक्ष म्यांमा में छिपा हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संगठन के सदस्यों की गतिविधियां त्रिपुरा में सामने आई हैं और इसके एक सदस्य ने आत्मसमर्पण किया जबकि बाकी उग्रवादी वापस बांग्लादेश चले गए।
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