नीतीश, तेजस्वी ने मोदी से मुलाकात कर जाति आधारित जनगणना का समर्थन किया

By भाषा | Published: August 23, 2021 04:35 PM2021-08-23T16:35:04+5:302021-08-23T16:35:04+5:30

Nitish, Tejashwi meet Modi and support caste based census | नीतीश, तेजस्वी ने मोदी से मुलाकात कर जाति आधारित जनगणना का समर्थन किया

नीतीश, तेजस्वी ने मोदी से मुलाकात कर जाति आधारित जनगणना का समर्थन किया

जाति आधारित जनगणना के समर्थन में अपनी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य के 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सोमवार को मुलाकात की। कुमार ने बैठक के बाद कहा कि बिहार के सभी दलों ने जाति आधारित जनगणना की आवश्यकता पर एक स्वर में बात की और जोर देकर कहा कि विभिन्न जातियों संबंधी आंकड़े प्रभावी विकास योजनाएं बनाने में मदद करेंगे क्योंकि उनमें से कई को उनकी वास्तविक जनसंख्या के अनुरूप अब तक लाभ नहीं मिला है। प्रतिनिधिमंडल में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि इस तरह की जनगणना राष्ट्रीय हित में है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक कदम होगा और समाज के गरीबों एवं सबसे वंचित वर्गों की मदद करेगा। उन्होंने कहा कि यदि पशुओं और पेड़ों की गणना की जा सकती है तो लोगों की भी गणना की जा सकती है। कुमार के साथ भाजपा और कांग्रेस सहित सभी प्रमुख दलों के प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए और उन्होंने मोदी को अपनी मांग सौंपी। इस मामले पर प्रधानमंत्री के जवाब के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि मोदी ने इसे (जाति आधारित जनगणना को) ‘‘खारिज नहीं’’ किया और हरेक की बात सुनी। प्रतिनिधिमंडल में शामिल भाजपा नेता जनक राम ने कहा कि मोदी ने ‘‘एक परिवार के संरक्षक’’ की तरह सभी की राय सुनी। उन्होंने कहा कि हर कोई ‘‘संतुष्ट’’ है और प्रधानमंत्री का फैसला सभी को स्वीकार्य होगा। जनगणना केंद्र का विशेषाधिकार होता है और इसलिए कई पार्टियों द्वारा की गई इस मांग पर फैसला केंद्र करेगा। यह मांग करने वाले अधिकतर दलों में वे दल शामिल हैं, जिन्हें मुख्य रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का समर्थन हासिल है। कुमार और यादव ने संवाददाताओं से बात करते हुए एक केंद्रीय मंत्री के बयान का उल्लेख किया। उन्होंने गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के राज्यसभा में दिए उस जवाब का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि जाति-आधारित जनसंख्या आंकड़ा जारी करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसने लोगों के बीच ‘‘अशांति’’ पैदा कर दी। अतीत में सहयोगी रहे दो राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के बीच सद्भाव देखने को मिला। कुमार ने प्रधानमंत्री से मिलने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का प्रस्ताव बनाने का श्रेय युवा राजद नेता को दिया तथा यादव ने इस दिशा में काम करने और मोदी से मुलाकात का समय लेने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। यह पूछे जाने पर कि कुमार की जनता दल (यूनाइडेट) पार्टी और राजद ने इस मामले पर हाथ मिलाया है, तो क्या दोनों दल निकट आ रहे हैं, यादव ने कहा कि बिहार में विपक्ष ने जन समर्थक और राष्ट्रीय हित के कदमों के लिए सरकार का हमेशा समर्थन किया है। उन्होंने कहा, ‘‘एक बार जाति आधारित जनगणना हो जाने के बाद, हमें सभी जातियों के बारे में वास्तविक जानकारी मिल जाएगी। इसके बाद उनके लिए विकास कार्य प्रभावी ढंग से किए जा सकते हैं।’’ यादव ने कहा कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की गिनती की जाती है और जनगणना में विभिन्न धर्मों के बारे में भी आंकड़े एकत्र किए जाते हैं, तो दूसरों की गणना क्यों नहीं की जा सकती। आलोचकों का दावा है कि जाति आधारित जनगणना जातिवाद और दुश्मनी को बढ़ावा दे सकती है। इस बारे में, यादव ने कहा कि लोगों की धार्मिक संबद्धता पर आधारित जनगणना के कारण कभी हिंसा नहीं भड़की। राजद नेता ने कहा कि जाति आधारित जनगणना से सरकार को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि सबसे गरीब लोग कौन हैं और फिर उनकी मदद के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मांग केवल बिहार के संबंध में नहीं, बल्कि पूरे देश में विभिन्न जातियों के लोगों की गणना के संबंध में है। कुमार और यादव ने इस बैठक के लिए मोदी को धन्यवाद दिया। जब पार्टी के मामलों में कथित अनदेखी को लेकर उनके भाई तेज प्रताप यादव द्वारा कुछ राजद नेताओं के खिलाफ गुस्सा जताए जाने के बारे में सवाल किया गया, तो तेजस्वी यादव ने सवाल को टाल दिया और कहा कि वह केवल ‘‘राष्ट्रीय हित’’ के मुद्दों पर बात करेंगे। जाति के आधार पर जनगणना के बड़े राजनीतिक निहितार्थ हो सकते हैं और भाजपा के सहयोगियों सहित कई क्षेत्रीय दलों ने इसका समर्थन किया है, क्योंकि उनका मानना है कि यह ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांग को मजबूत करेगा। उनके अनुमान के अनुसार, जनसंख्या का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा ओबीसी है और उसे 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। हालांकि, भाजपा के कई ओबीसी नेता इस मांग का समर्थन करते हैं, लेकिन पार्टी ने अभी तक इस गंभीर मुद्दे पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है।

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Web Title: Nitish, Tejashwi meet Modi and support caste based census

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