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कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की कृपा से महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद पा सके नीतीश कुमार!

By एस पी सिन्हा | Updated: August 11, 2022 16:15 IST

सूत्रों के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अड़ गई थीं। वह टस से मस नही हो रही थीं। इसके बाद नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी को फोन कर मदद मांगी।

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ठळक मुद्देसूत्रों के मुताबिक राबड़ी देवी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अड़ गई थीं। इसके बाद नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी को किया था फोनपहले तो सोनिया गांधी ने इंकार कर दिया, लेकिन काफी मिन्नत के बाद की सहायता

पटना: बिहार में सियासी तस्वीर बदलने के नीतीश कुमार के प्रयास में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने काफी अहम भूमिका निभाई है। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि महागठबंधन में आने के बाद सोनिया गांधी की कृपा से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद मिल पाया है। 

सूत्रों के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अड़ गई थीं। वह टस से मस नही हो रही थीं। इसके बाद नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी को फोन कर मदद मांगी। पहले तो सोनिया गांधी ने इंकार कर दिया, लेकिन काफी मिन्नत के बाद उन्होंने पहल की और फिर बिहार की राजनीतिक तस्वीर बदल गई।

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक बिहार में राजनीतिक परिवर्तन की पटकथा शिष्टाचार भेंट से लिखी गई थी। यह फोन नीतीश कुमार की ओर से कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को की गई थी। सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार के सोनिया गांधी से पहले उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करने के बाद राजनीतिक बातचीत के दौरान भाजपा की ओर से बनाए जा रहे दबाव का जिक्र किया। 

नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रही है। उन्होंने बिहार में बदलाव के लिए उनसे(सोनिया गांधी) से सहयोग मांगा। सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी ने उनसे राहुल गांधी से भी संपर्क करने के लिए कहा। सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार ने कांग्रेस नेता राहुल कांग्रेस से संपर्क करने की जिम्मेदारी तेजस्वी यादव को दी। 

तेजस्वी यादव ने तुरंत कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से संपर्क किया। राहुल गांधी बिहार के पार्टी प्रभारी भक्त चरण दास के संपर्क में रहने के लिए सहमत हुए। कहा जा रहा इसके बाद बातचीत हुई और बदलाव की स्क्रिप्ट तैयार हो गई। वहीं सोनिया गांधी ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से बात कर सारा कुछ तय कर दिया।

सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार बदलाव के लिए इतना बहुमत चाहते थे कि भाजपा सेंध लगाकर भी सरकार न गिरा पाए। नीतीश कुमार वामपंथी और कांग्रेस के जरिए आंकड़ा 164 तक पहुंचने तक चुप रहे और मौका मिलते ही दांव खेल गए। 

सारा खेल खेला गया, लेकिन नीतीश कुमार के पाला बदलने की भनक तक भाजपा को नहीं लग सकी। भाजपा संकेतों को भांप नहीं पाई। सारा खेल तय होने के बाद आरसीपी सिंह के मुद्दे को सामने लाकर नीतीश ने भाजपा को गच्चा दे दिया और राजनीतिक दिग्गज देखते रह गए। 

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