SC के फैसले पर निर्भया के पिता ने कहा- मेरा विश्वास जल्द मिलेगी फांसी, मां बोली- न्याय में हो रही देरी
By रामदीप मिश्रा | Updated: July 9, 2018 15:55 IST2018-07-09T15:54:26+5:302018-07-09T15:55:48+5:30
शीर्ष अदालत ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा 23 वर्षीय पैरामेडिक छात्रा से 16 दिसंबर 2012 को सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था।

SC के फैसले पर निर्भया के पिता ने कहा- मेरा विश्वास जल्द मिलेगी फांसी, मां बोली- न्याय में हो रही देरी
नई दिल्ली, 09 जुलाईः पूरे देश को हिला देने वाले निर्भया गैंगरेप मामले के दोषियों की सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी और फांसी की सजा को बरकरार रखा है। वहीं, इस फैसले से पहले इंसाफ की उम्मीद लेकर निर्भया के माता-पिता वकील के साथ कोर्ट पहुंचे थे। फैसला आने के बाद उन्होंने जल्द दोषियों को फांसी पर चढ़ाए जाने की अपील की है।
निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह ने पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद कहा है कि हम जानते थे कि ये याचिका खारिज कर दी जाएगी, लेकिन अब आगे क्या? काफी समय बीत चुका है और महिलाओं के साथ अपराध बढे़ हैं। मेरा मानना है कि उन्हें जल्दी फांसी दी जाएगी, यही बेहतर है।
We knew that review petition will be dismissed. But what next? So much time has gone by & threat to women have gone up in this span. I believe sooner they're hanged, better it is: Badrinath Singh,father of 2012 Delhi gang-rape victim on SC's dismissal of 3 accused review petition pic.twitter.com/75xWcRmVOA
— ANI (@ANI) July 9, 2018
वहीं, निर्भया की मां आशा देवी ने कहा है कि हमारा संघर्ष यहां खत्म नहीं हुआ। न्याय में देरी हो रही है। यह समाज की अन्य बेटियों को प्रभावित कर रहा है। मैं न्यायपालिका से न्यायिक तंत्र को मजबूत करने का अनुरोध करती हूं, जितनी जल्दी हो सके दोषियों को लटकाकर निर्भया को न्याय दें और अन्य लड़कियों व महिलाओं की मदद करें।
Our struggle does not end here. Justice is getting delayed. It's affecting other daughters of the society. I request judiciary to tighten their judicial system, serve justice to Nirbhaya by hanging them as soon as possible & help other girls&women: Asha Devi, mother of 2012 Delhi pic.twitter.com/9BJUGULRQC
— ANI (@ANI) July 9, 2018
आगे उन्होंने दोषियों को लेकर कहा, 'वे नाबालिग नहीं थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने ऐसा अपराध किया। यह फैसला अदालत में हमारे विश्वास को बढ़ाता है कि हमें न्याय जरूर मिलेगा।'
They were not juveniles. It is unfortunate that they committed such crime. This decision reaffirms our trust in the court that we will definitely get justice: Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang rape victim on SC's dismissal of the convicts' review petition pic.twitter.com/6mvzH665s1
— ANI (@ANI) July 9, 2018
आपको बता दें, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों में से तीन की पुनर्विचार याचिका को खारिज किया, जिनमें मुकेश (29), पवन गुप्ता (22) और विनय शर्मा शामिल हैं।
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शीर्ष अदालत ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा 23 वर्षीय पैरामेडिक छात्रा से 16 दिसंबर 2012 को सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था। उससे दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था और गंभीर चोट पहुंचाने के बाद सड़क पर फेंक दिया था। सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में 29 दिसंबर 2012 को इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी। आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। आरोपियों में एक किशोर भी शामिल था। उसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया। उसे तीन साल सुधार गृह में रखे जाने के बाद रिहा कर दिया गया।
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