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सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप के तीन दोषियों की मौत की सजा को रखा बरकरार तो पैतृक गाँव में बंटी मिठाई

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: July 9, 2018 20:37 IST

निर्भया के पिता ने कहा कि वह फैसले से खुश हैं। उन्हें पूरा विश्वास था कि उच्चतम न्यायालय से दरिंदों को कोई राहत नहीं मिलेगी। 

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बलिया (उ.प्र.), नौ जुलाई (भाषा) देश-दुनिया को झकझोरने वाले ‘निर्भया‘ कांड के तीन गुनहगारों की मौत की सजा उच्चतम न्यायालय द्वारा बहाल रखे जाने के बाद इस कांड के भुक्तभोगी परिवार और उसके बलिया स्थित पैतृक गांव के लोगों ने खुशी का इजहार किया है।  बिहार की सरहद से सटे बलिया जिले के नरही थाना क्षेत्र में स्थित दिल्ली के सामूहिक बलात्कार कांड की पीड़िता के पैतृक गांव मेड़वार कलां में आज अपराह्न जैसे ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की जानकारी मिली, कांड के भुक्तभोगी परिवार और गांववासियों में खुशी की लहर दौड़ गयी। फैसले के बाद गांव में लोगों ने मिठाई बांटी और मंदिर में विशेष पूजा की। मंदिर में महिलाओं ने दुग्धाभिषेक कर खुशी जतायी। 

निर्भया के दादा लाल जी सिंह ने आज के फैसले पर खुशी का इजहार करते हुए कहा कि अगर अब तक दरिंदों को फांसी मिल गयी होती तो आये दिन सामने आ रही हैवानियत की घटनाएं शायद ना होतीं। 

सिंह ने कहा कि अब उनकी पोती के गुनहगारों को बिना देर किये फांसी पर लटका देना चाहिये। 

इस बीच, निर्भया की मां ने टेलीफोन पर ‘भाषा‘ से कहा कि उनका परिवार लगभग छह वर्ष से संघर्ष कर न्याय की लड़ाई लड़ रहा है। उन्हें खुशी है कि दरिंदों को किसी न्यायालय से अब तक कोई राहत नहीं मिली है। उन्हें न्यायालय के आज के फैसले से तसल्ली हुई है लेकिन एक नाबालिग दरिंदा कानून का लाभ उठाकर फांसी की सजा से बच गया, इसका दुःख है। 

निर्भया के पिता ने कहा कि वह फैसले से खुश हैं। उन्हें पूरा विश्वास था कि उच्चतम न्यायालय से दरिंदों को कोई राहत नहीं मिलेगी। 

मालूम हो कि उच्चतम न्यायालय ने 16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में हुए सनसनीखेज निर्भया सामूहिक बलात्कार काण्ड और हत्या के मामले में फांसी के फंदे से बचने का प्रयास कर रहे तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिकायें आज खारिज कर दीं।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने दोषी मुकेश, पवन गुप्ता और विनय कुमार की याचिकायें खारिज करते हुये कहा कि पांच मई, 2017 के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिये कोई आधार नहीं है।

इस सनसनीखेज अपराध में चौथे मुजरिम अक्षय कुमार सिंह ने मौत की सजा के निर्णय पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर नहीं की थी।

राजधानी में 16 दिसंबर, 2012 को हुये इस अपराध के लिये निचली अदालत ने 12 सितंबर, 2013 को चार दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। इस अपराध में एक आरोपी राम सिंह ने मुकदमा लंबित होने के दौरान ही जेल में आत्महत्या कर ली थी जबकि छठा आरोपी एक किशोर था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 मार्च, 2014 को दोषियों को मृत्यु दण्ड देने के निचली अदालत के फैसले की पुष्टि कर दी थी। इसके बाद, दोषियों ने शीर्ष अदालत में अपील दायर की थीं जिन पर न्यायालय ने पांच मई, 2017 को फैसला सुनाया था।

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