"नेहरू ने कहा था चीन को पहले सुरक्षा परिषद में जगह लेने दें", विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन नीति पर की जवाहरलाल नेहरू की आलोचना

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 4, 2024 08:36 AM2024-01-04T08:36:50+5:302024-01-04T08:43:53+5:30

विदेश मंत्री जयशंकर ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा कि यदि उनका दृष्टिकोण अधिक भारत वाला होता, तो शायद चीन के साथ हमारे संबंधों में हमारा नजरिया कुछ और होता।"

"Nehru said in a letter to the Chief Ministers, first let China take a seat in the Security Council", External Affairs Minister S Jaishankar criticized Jawaharlal Nehru on China policy | "नेहरू ने कहा था चीन को पहले सुरक्षा परिषद में जगह लेने दें", विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन नीति पर की जवाहरलाल नेहरू की आलोचना

फाइल फोटो

Highlightsविदेश मंत्री जयशंकर ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के विदेश नीति की आलोचना कीयदि नेहरू का दृष्टिकोण अधिक भारत वाला होता, तो शायद चीन के प्रति हमारा नजरिया कुछ और होतानेहरू ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि चीन को पहले सुरक्षा परिषद में अपनी जगह लेने दें

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को अपनी नई पुस्तक 'व्हाई भारत मैटर्स' के लॉन्च पर कहा कि साल 2024 दुनिया के लिए उथल-पुथल भरा रहेगा, लेकिन भारत उन चुनौतियों से निपटने, अपनी बढ़ती वैश्विक भूमिका और विकास के रास्ते को बनाए रखने के लिए राजनीतिक और आर्थिक रूप से अच्छी स्थिति में है।

केंद्रीय मंत्री ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विदेशी राजनयिकों, रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों और शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि 2024 अपेक्षाकृत अशांत बना रहेगा लेकिन भारत 2024 को काफी आत्मविश्वास के साथ देखने के लिए अच्छी स्थिति में है। आज हम राजनीतिक रूप से, आर्थिक रूप से कहां स्थित हैं। जब आप भारत के संदर्भ में से कई सामाजिक परिवर्तनों और बढ़ी हुई क्षमताओं को देखते हैं, तो मैं इस बातचीत के अंत में कहूंगा, हम अच्छी स्थिति में है।"

आजादी के बाद चीन-भारत संबंधों की चर्चा करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के विदेश नीति की आलोचना की और कहा कि यदि उनका दृष्टिकोण अधिक भारत वाला होता, तो शायद चीन के साथ हमारे संबंधों में हमारा नजरिया कुछ और होता।"

जयशंकर ने आजादी के बाद पहले दशक के बारे में बात करते हुए कहा, "और यह कोई ऐसी बात नहीं है, जो मेरी कल्पना है। मेरा मतलब है कि वहां ऐसी बातें रिकॉर्ड पर है। सरदार वल्लभभाई पटेल और पंडित नेहरू के बीच चीन के मुद्दे पर पत्रों का आदान-प्रदान हुआ है और दोनों के विचार बिल्कुल अलग थे।"

विदेश मंत्री ने चीन के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल होने और इस मामले पर पंडित नेहरू के दृष्टिकोण का हवाला देते हुए कहा, "मेरा मतलब है कि एक पत्र है, जो नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को लिखा है जिसमें नेहरू की ओर से स्पष्ट कहा गया है कि चीन को पहले सुरक्षा परिषद में अपनी जगह लेने दें।"

जयशंकर ने इसके साथ यह भी कहा कि कैसे पंडित नेहरू चीन के साथ हुए 1962 के युद्ध के बाद अमेरिकी सहायता लेने से झिझक रहे थे क्योंकि उन्हें पता नहीं था कि इसे कैसे देखा जाएगा।

जयशंकर ने कहा, ''अमेरिका के प्रति बहुत गहरी शत्रुता थी और अमेरिकियों ने इसके लायक होने के लिए बहुत कुछ किया भी था लेकिन आप जानते हैं, वास्तव में, यह फिर से एक दिलचस्प मुद्दा है, जहां विदेश नीति पर सरदार पटेल की आखिरी टिप्पणियों में से एक यह थी कि हम अमेरिका के प्रति इतने अविश्वासी क्यों हैं, हमें अमेरिका को अपने हित के दृष्टिकोण से देखना चाहिए न कि इस दृष्टिकोण से कि अमेरिकी चीन के साथ कैसे निपट रहा है।"

Web Title: "Nehru said in a letter to the Chief Ministers, first let China take a seat in the Security Council", External Affairs Minister S Jaishankar criticized Jawaharlal Nehru on China policy

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