NCRB Data: टाडा और पोटा के बाद यूएपीए मामलों में भी जम्मू कश्मीर टॉप पर, साल 2021 में दर्ज हुए 289 मामले
By सुरेश एस डुग्गर | Published: September 1, 2022 01:54 PM2022-09-01T13:54:16+5:302022-09-01T13:57:33+5:30
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के बकौल, वर्ष 2021 में 289 यूएपीए मामलों के साथ जम्मू कश्मीर देश में सबसे टॉप पर रहा। हालांकि वर्ष 2020 में भी 287 मामलों के साथ दौड़ में कोई अन्य राज्य उससे आगे नहीं निकल पाया था।
जम्मू: यह सच में हैरानगी की बात है की जम्मू कश्मीर हमेशा आगे रहने की दौड़ में सफल रहा है। अब वह यूएपीए अर्थात गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम में बाजी मार रहा है। पहले ही टाडा और पोटा के मामलों में वह सबसे आगे रहा है।
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के बकौल, वर्ष 2021 में 289 यूएपीए मामलों के साथ जम्मू कश्मीर देश में सबसे टॉप पर रहा। हालांकि वर्ष 2020 में भी 287 मामलों के साथ दौड़ में कोई अन्य राज्य उससे आगे नहीं निकल पाया था तो वर्ष 2019 में भी यहां यूएपीए के 255 मामले दर्ज हुए थे।
कश्मीर में 33 सालों से फैले आतंकवाद के दौर में सुरक्षा एजेंसियों और तत्कालीन सरकारों ने आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए बनाए गए सभी कानूनों का जम कर इस्तेमाल किया है। इसमें सबसे ज्यादा टाडा का इस्तेमाल हुआ जिसमें 20 हजार से अधिक मामले दर्ज तो हुए पर सजा शायद ही किसी को मिली हो।
टाडा के मामलों की खास बात यह थी कि तत्कालीन राज्य सरकारों ने इसके अस्तित्व में आते ही सबसे पहले इसका जमकर इस्तेमाल करना आरंभ किया और जब पोटा अस्तित्व में आया तो वह उसकी ओर मुढ़ गईं।
फिलहाल पोटा के तहत दर्ज मामलों पर कोई आधिकारिक रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। लेकिन, पोटा, टाडा और यूएपीए के साथ साथ जम्मू कश्मीर में पीएसए अर्थात जन सुरक्षा अधिनियम का भी जम कर इस्तेमाल हुआ है तथा आज भी हो रहा है।
आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार, वर्ष 2019 में ही एक हजार से अधिक लोगों पर पीएसए लगा उन्हें जेलों में ठूंस दिया गया। इनमें आतंकी भी शामिल थे और अन्य अपराधी भी। जबकि सरकार ने कई बार राजनीतिज्ञों पर भी इसे थोपने से परहेज नहीं किया।
यही नहीं पांच अगस्त को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद भी पीएसए का जम कर इस्तेमाल हो रहा है और यूएपीए का इस्तेमाल नए रिकार्ड बना रहा है।