''मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कई बार 'पॉक्सो अधिनियम' के नियमों का उल्लंघन किया है'', NCPCR चीफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 20, 2024 10:40 AM2024-03-20T10:40:01+5:302024-03-20T10:46:31+5:30
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कई बार पॉक्सो अधिनियम के नियमों का "उल्लंघन" किया है।
नई दिल्ली: बाल अधिकार निकाय एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने आरोप लगाया है कि पिछले कुछ वर्षों में ऐसा देखा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार न केवल बच्चों के अधिकारों से "अनजान" है, बल्कि वो "जानबूझकर" बच्चों के अधिकार का उल्लंघन भी कर रही है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पश्चिम बंगाल में 'बाल संरक्षण' पर विशेष रिपोर्ट सौंपने के बाद एनसीपीसीआर प्रमुख कानूनगो ने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार न केवल बाल अधिकारों के प्रति अनभिज्ञ है बल्कि सरकार जानबूझकर बाल अधिकारों का उल्लंघन भी कर रही है।"
उन्होंने आरोप लगाया, ''पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार राज्य में चल रहे अपंजीकृत और गैरकानूनी बाल गृहों को पैसा दे रही है और स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कई बार पॉक्सो अधिनियम के नियमों का "उल्लंघन" किया है।"
कानूनगो ने कहा, "हमने संसद को भी इसके बारे में अवगत कराया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ने कई बार पॉक्सो अधिनियम के नियमों का उल्लंघन किया है। हमने संसद को बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करने वाली सभी घटनाओं की जानकारी दी और हमने अपने रिपोर्ट की एक प्रति मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी सौंपी।"
एनसपीसीआर की रिपोर्ट में बताया गया है कि पश्चिम बंगाल राज्य में बाल तस्करी एक बढ़ती समस्या है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों, खासकर लड़कियों की अलग-अलग जगहों पर तस्करी की जा रही है।
इसके साथ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पश्चिम बंगाल राज्य में 'बेसहारा बच्चों' की समस्या से निपटने की एक समानांतर प्रणाली चला रहा है। इन संस्थानों को 'कॉटेज होम' कहा जाता है और इन्हें कॉटेज योजना के तहत चलाया जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार के महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण विभाग के तहत देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों का कल्याण के लिए काम कर रही है लेकिन एनसीपीसीआर की टीम ने अपनी जांच के दौरान कई बच्चों को देसी बम के विस्फोट से घायल हालात में पाया।
उन्होंने कहा, "उदाहरण के लिए हमें 40 ऐसे मामले मिले, जो देसी बम विस्फोटों में घायल हुए थे। बच्चे खेलते समय घायल हो जाते हैं और यहां तक कि उनकी जान भी चली जाती है। अब ये विस्फोट क्यों हो रहे हैं? यह एक बड़ा सवाल है।"
एनसीपीसीआर प्रमुख ने कहा, "हमने इस मामले में जानकारी एकत्र की। राज्य सरकार द्वारा हमें सहयोग नहीं करने के बाद हमने सीमा सुरक्षा बल से संपर्क किया। बीएसएफ ने हमें बताया कि ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए एक समिति बनाई गई है लेकिन बंगाल के मुख्य सचिव बैठक नहीं बुला रहे हैं।"