8 जनवरी की राष्ट्रव्यापी हड़ताल, 25 करोड़ लोग, दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन होंगे शामिल, मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोल

By भाषा | Updated: January 6, 2020 16:49 IST2020-01-06T16:49:12+5:302020-01-06T16:49:12+5:30

ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और फेडरेशनों ने पिछले साल सितंबर में आठ जनवरी, 2020 को हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी।

Nationwide strike of January 8, 25 crore people, ten central trade unions to be involved, will attack on Modi government | 8 जनवरी की राष्ट्रव्यापी हड़ताल, 25 करोड़ लोग, दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन होंगे शामिल, मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोल

श्रम मंत्रालय ने दो जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी।

Highlightsसरकार से श्रमिक विरोधी, जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे। श्रम मंत्रालय अब तक श्रमिको को उनकी किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है।

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने दावा किया है कि आठ जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ लोग शामिल होंगे। सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया गया है।

ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और फेडरेशनों ने पिछले साल सितंबर में आठ जनवरी, 2020 को हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी।

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘‘आठ जनवरी को आगामी आम हड़ताल में हम कम से कम 25 करोड़ लोगों की भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं। उसके बाद हम कई और कदम उठाएंगे और सरकार से श्रमिक विरोधी, जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे।

बयान में कहा गया है, ‘‘श्रम मंत्रालय अब तक श्रमिको को उनकी किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है। श्रम मंत्रालय ने दो जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी। सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है।’’

बयान में कहा गया है कि छात्रों के 60 संगठनों तथा कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है। उनका एजेंडा बढ़ी फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण का विरोध करने का है।

ट्रेड यूनियनों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा तथा अन्य विश्वविद्यालय परिसरों में इसी तरह की घटनाओं की आलोचना की है और देशभर में छात्रों तथा शिक्षकों को समर्थन देने की घोषणा की है। यूनियनों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि जुलाई, 2015 से एक भी भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं हुआ है। इसके अलावा यूनियनों ने श्रम कानूनों की संहिता बनाने और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का भी विरोध किया है। 

Web Title: Nationwide strike of January 8, 25 crore people, ten central trade unions to be involved, will attack on Modi government

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