आदिवासी अधिकारों के लिए रायपुर में अधिवेशन, प्रतिनिधि बोले- 'आखिर हमें ही क्यों रहना पड़ता है वंचित'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 28, 2019 08:44 PM2019-03-28T20:44:34+5:302019-03-28T20:44:34+5:30

भारत के आदिवासी समुदायों के अधिकारों पर चर्चा के उद्देश्य से देश भर के 10 राज्यों से आदिवासी समुदायों के लगगभ 300 प्रतिनिधि दो दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी अधिवेशन में भाग लेने के लिए रायपुर में जुटे हैं।

National Tribal Convention in Raipur 300 representer parts in Convention | आदिवासी अधिकारों के लिए रायपुर में अधिवेशन, प्रतिनिधि बोले- 'आखिर हमें ही क्यों रहना पड़ता है वंचित'

आदिवासी अधिकारों के लिए रायपुर में अधिवेशन, प्रतिनिधि बोले- 'आखिर हमें ही क्यों रहना पड़ता है वंचित'

Highlights10 राज्यों से आदिवासी समुदायों के लगगभ 300 प्रतिनिधि दो दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी अधिवेशन में भाग लेने के लिए रायपुर में जुटे हैंक्या हम सिर्फ इसलिए आदिवासी हैं कि हम पैदा आदिवासी हुए हैं: प्रतिनिधि

“आदिवासी समुदायों के लिए ग्रामसभा सबसे महत्वपूर्ण है। ग्रामसभा आदिवासियों के हित के लिए काम करने और आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने में सक्षम हो, यह सुनिश्चित करने के लिए ग्रामसभा को मजबूत बनाना होगा।“ छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के जनकलाल ठाकुर ने यह बात राष्ट्रीय आदिवासी अधिवेशन में कही।

भारत के आदिवासी समुदायों के अधिकारों पर चर्चा के उद्देश्य से देश भर के 10 राज्यों से आदिवासी समुदायों के लगगभ 300 प्रतिनिधि दो दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी अधिवेशन में भाग लेने के लिए रायपुर में जुटे हैं। अधिवेशन की “शुरुआत आज रायपुर के अग्रसेन धाम में दीप प्रज्जवलन कार्यक्रम के साथ हुई। दीप प्रज्जवलन के साथ ही अधिवेशन में भाग ले रहे महिला-पुरुषों ने ‘जल, जंगल, जमीन की लूट नहीं सहेंगे‘, ‘लड़ेगे-जीतेंगे” के नारे लगाए। 

आयोजक समिति के संयोजक, झारखंड के कुमार चंद्र मार्डी ने दो दिवसीय अधिवेषन का उद्देश्य और महत्व प्रतिभागियों के साथ साझा करते हुए सभा को शुरू किया। भूमिज समाज के राष्ट्रीय संयोजक सिधेश्वर सरदार, छत्तीसगढ़ परिवर्तन समुदाय की इंदु नेताम, खेदुत मजदूर चेतना संगत, राजस्थान के “शंकर तड़वाल, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के जनकलाल ठाकुर और मेघालय की पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता लिंडा चकचुआक ने अपने अपने राज्यों में हो रहे आदिवासी समुदायों के संघर्षों को साझा किया। इस सत्र का संचालन एक्शनएड एसोसिएशन की ब्रतिंदी जेना ने किया।

इंदु नेताम ने कहा,''आजीविका के लिए आदिवासी समुदायों के परंपरागत काम पारिस्थितकी अनुकूल होने के बावजूद, आधुनिक उत्पादन प्रक्रियाओं के इस दौर में उनको प्राकृतिक संसाधनों पर उनके अधिकारो से वंचित होना पड़ रहा है। जबकि प्राकृतिक संसाधन, वन भूमि में बसने वाले आदिवासी समुदायों की आजीविका के मूल स्रोत हैं।“

लिंडा ने कहा, “क्या हम सिर्फ इसलिए आदिवासी हैं कि हम पैदा आदिवासी हुए हैं या इसलिए कि हम सबके लिए समानता और न्याय की पैरोकार आदिवासी संस्कृति और आदिवासी जीवनशैली को संरक्षित और विकसित करते हुए अपनी पूरी जिंदगी जीते हैं।'' इन दो दिनों में समूह चर्चाओं के माध्यम से आदिवासियों के अधिकारों के लिए आगे की रणनीति को दिशा दी जाएगी। 

Web Title: National Tribal Convention in Raipur 300 representer parts in Convention

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