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क्या है नेशनल मेडिकल कमीशन बिल, जिसके विरोध में आज देशभर के डॉक्टर हड़ताल पर हैं

By आदित्य द्विवेदी | Updated: January 2, 2018 10:54 IST

डॉक्टरों का कहना है कि अगर यह बिल पास हुआ तो मेडिकल के इतिहास में काला दिन होगा। जानें सभी बातें...

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ठळक मुद्देकेन्द्रीय मंत्रिमंडल ने नेशनल मेडिकल कमीशन को 15 दिसम्बर, 2017 को स्वीकृति प्रदान की थी29 दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस बिल को लोकसभा में पेश किया

मंगलवार (2 जनवरी) को देशभर में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े करीब 3 लाख डॉक्टर हड़ताल पर हैं। प्राइवेट अस्पतालों की ओपीडी बंद हैं इस वजह से देशभर में स्वास्थ्य स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं। डॉक्टरों का विरोध सरकार के 'नेशनल मेडिकल कमीशन बिल-2017' के खिलाफ है। यह बिल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को समाप्त कर देगा।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ आरएन टंडन ने कहा कि एएमसी के गठन का प्रस्ताव आम लोगों और गरीबों के हितों के खिलाफ है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर यह बिल पास हुआ तो मेडिकल के इतिहास में काला दिन होगा। इसकी वजह से इलाज महंगा होगा और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। इस बिल के लागू होने से निजी मेडिकल कॉलेजों पर सरकार का शिकंजा मजबूत होगा।

प्रस्तावित नेशनल मेडिकल कमीशन का उद्देश्य

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने नेशनल मेडिकल कमीशन को 15 दिसम्बर, 2017 को स्वीकृति प्रदान की थी। इसके बाद इसे लोकसभा में पेश किया गया। अगर इस विधेयक को संसद की मंजूरी मिलती है तो मेडिकल काउंसिल को समाप्त कर दिया जायेगा और उसके स्थान पर मेडिकल कमीशन का गठन किया जायेगा। विधेयक के अनुसार इसके निम्नलिखित उद्देश्य है...- देश में मेडिकल एजुकेशन की ऐसी प्रणाली बनाई जाए जो विश्व स्तर की हो।- स्नातक और परास्नातक दोनों स्तरों पर अच्छे प्रोफेशनल डॉक्टर्स मुहैया कराए जाएं।- समय-समय पर चिकित्सा संस्थानों का मूल्यांकन हो।- भारत के लिए एक मेडिकल रजिस्टर के रख-रखाव की सुविधा हो।- मेडिकल सेवा के सभी पहलुओं में नैतिक मानदंड को लागू करवाया जाए।

नेशनल मेडिकल कमीशन का गठन कैसे होगा

प्रस्तावित विधेयक के अनुसार नेशनल मेडिकल कमीशन में एक अध्यक्ष और 25 सदस्य होंगे। इनका चयन कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यता में गठित समिति करेगी। इस आयोग में 12 पदेन सदस्य होंगे। इसके अलावा चार बोर्ड और उनके अध्यक्ष भी बनाए जाएंगे। आयोग में 12 पार्ट-टाइम सदस्य और एक सदस्य सचिव भी होगा।

डॉक्टर क्यों कर रहे हैं विरोध

इंडियन मेडिकल काउंसिल को नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2017 के कई प्रावधानों से ऐतराज है। कांग्रेस और कुछ अन्य पार्टियों ने सदन में भी इस बिल के विरोध में स्वर उठाया है। इस बिल से देश के डॉक्टर और उनके संगठन आशंकाओं से घिरे हुए हैं। बिल के विरोध की कुछ प्रमुख वजहें...- अब तक प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15% सीटों का फीस मैनेजमेंट तय करती थी। अब नए बिल के मुताबिक मैनेजमेंट को 60% सीटों की फीस तय करने का अधिकार होगा।​- इसमें पहले 130 सदस्य होते थे और हर राज्य का तीन प्रतिनिधि होता था। अब नए बिल के मुताबिक कुल 25 सदस्य होंगे, जिसमें 36 राज्यों में से केवल 5 प्रतानिधि ही होंगे।

- आयुष को ब्रिज कोर्स करवाकर इंडियन मेडिकल रजिस्टर में शामिल करने का प्रावधान है जो एमबीबीएस के लगभग बराबर होगा।

- एमबीबीएस के बाद भी प्रैक्टिस करने के लिए एक और परीक्षा देनी होगी।

- पहले यह परीक्षा विदेशों से एमबीबीएस करने वालों को देनी होती थी. अब नए बिल में उनको इस एग्जाम से छूट है।

- डॉक्टरों का कहना है कि कॉलेज खोलने के पांच साल बाद उनमें सुविधाओं का निरीक्षण होगा। अगर कमियां पाई जाती हैं तो उन कॉलेजों पर पांच से 100 करोड़ रुपये जुर्माना लगने का प्रस्ताव है।

- मेडिकल संगठनों का कहना है कि 25 सदस्यीय कमीशन में सिर्फ पांच निर्वाचित सदस्य होंगे जबकि 20 सदस्य सरकार से मनोनीत होंगे। इससे आयोग में डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। 

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