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नासिक: 12 प्याज व्यापारियों की परिसंपत्तियों पर इनकम टैक्स का छापा, 110 अधिकारी और 18 टीम शामिल, जानिए मामला

By सतीश कुमार सिंह | Updated: October 15, 2020 16:14 IST

प्याज की कीमतः नासिक, पुणे और औरंगाबाद के 110 आयकर अधिकारियों की अठारह टीमों ने बुधवार दोपहर 3 बजे नासिक जिले के 12 प्याज व्यापारियों के आवासों और कार्यालयों पर खोज शुरू की।

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ठळक मुद्देप्याज की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। खुदरा बाजार में कीमत 60-70 रुपये किलो है।दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण प्याज की फसल नष्ट हो गए। जिसे कीमतों में बढ़ोतरी का कारण बताया जाता है। वर्तमान में महाराष्ट्र में प्याज का भंडारण काफी अधिक है। थोक में इसके दाम 20-30 रुपये किलो है।

नासिक: देश में प्याज की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। खुदरा बाजार में कीमत 60-70 रुपये किलो है। केंद्र सरकार ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है। नासिक, पुणे और औरंगाबाद के 110 आयकर अधिकारियों की अठारह टीमों ने बुधवार दोपहर 3 बजे नासिक जिले के 12 प्याज व्यापारियों के आवासों और कार्यालयों पर खोज शुरू की।

दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण प्याज की फसल नष्ट हो गए। जिसे कीमतों में बढ़ोतरी का कारण बताया जाता है। वर्तमान में महाराष्ट्र में प्याज का भंडारण काफी अधिक है। थोक में इसके दाम 20-30 रुपये किलो है।दोगुनी तेजी से प्याज के दाम में बढ़ोतरी होने की मुख्य वजह फसल खराब होना, सप्लाई में कमी या फिर इसकी जमाखोरी होती है। देश के सबसे बड़े थोक प्याज बाजार नासिक में प्याज़ के भाव अचानक आसमान छूने लगे है। 

सूत्रों के अनुसार लासलगाँव, पिंपलगाँव और नासिक शहर में प्याज व्यापारी कालाबाजारी का सहारा ले रहे हैं। केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव किया है। लासालगाँव के प्याज बाजार में थोक प्याज की कीमतें इस सप्ताह की शुरुआत में 4,800/- रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गईं, जिससे गुणवत्ता वाले प्याज की आपूर्ति में गहरी गिरावट आई। 

पिछले कुछ महीनों से प्याज की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के कारण सरकार निर्यात पर कम होती जा रही है। व्यापारियों का कहना है कि मंडियों में कीमतों को प्रभावित करने का एक और प्रयास है। हर साल त्योहारों से पहले सितंबर से लेकर नवंबर तक प्याज की कीमतें आसमान छूने लगती है। प्याज का मसला ऐसा हो चुका है कि सरकारें तक चिंताग्रस्त हो जाती हैं, कई मौकों पर प्याज की कीमतें राजनीतिक मुद्दा बन जाती हैं. इसलिए सरकार कोशिश में रहती है कि प्याज की कीमतों को काबू में रखा जाए, लेकिन फिर भी हर साल इस सीजन में प्याज की कीमतें बेकाबू हो जाती हैं।

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