नरोदा दंगा मामलाः पीड़ित पक्ष आरोपियों को बरी किए जाने को हाईकोर्ट में देगा चुनौती, विशेष अदालत के फैसले को विवेकहीन करार दिया

By अनिल शर्मा | Published: April 21, 2023 09:45 AM2023-04-21T09:45:40+5:302023-04-21T10:04:37+5:30

नरोदा गाम में गोधरा मामले के बाद भड़के दंगा मामले में गुरुवार 21 साल बाद विशेष अदालत का यह फैसला आया। इस दंगे में 11 लोगों की जान चली गई थी।  

Naroda Gam riot survivors challenge acquittal of the accused in High Court called the decision unconscionable | नरोदा दंगा मामलाः पीड़ित पक्ष आरोपियों को बरी किए जाने को हाईकोर्ट में देगा चुनौती, विशेष अदालत के फैसले को विवेकहीन करार दिया

नरोदा दंगा मामलाः पीड़ित पक्ष आरोपियों को बरी किए जाने को हाईकोर्ट में देगा चुनौती, विशेष अदालत के फैसले को विवेकहीन करार दिया

Highlights इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने की थी।  इस मामले में कुल 86 आरोपी थे, जिनमें से 18 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई।

अहमदाबादः गुजरात के नरोदा गांव (गाम) दंगा मामले में अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट ने बाबू बजरंगी, माया कोडनानी सहित 67 आरोपियों को बरी कर दिया है। आरोपियों के बरी किए जाने पर इससे जुड़े गवाहों ने पीड़ितों के लिए काला दिन कहा और फैसले को विवेकहीन करार दिया। 

नरोदा गाम में गोधरा मामले के बाद भड़के दंगा मामले में गुरुवार दो दशक (21 साल बाद) से अधिक समय बाद विशेष अदालत का यह फैसला आया है। इस दंगे में 11 लोगों की जान चली गई थी।  मामले की सुनवाई SIT मामलों के विशेष जज एस के बक्शी कर रहे थे। 

पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता शहशाद पठान ने कहा कि विशेष अदालत के फैसले को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हम उन आधारों का अध्ययन करेंगे जिसपर विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला किया। पठान ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़ितों को न्याय से वंचित कर दिया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए अभियोजन पक्ष के गवाह इम्तियाज अहमद हुसैन कुरैशी ने कहा कि मैंने 17 लोगों की पहचान की थी जिन्हें भीड़ को भड़काते देखा था। पांच लोगों को मेरी आँखों के सामने जला दिया गया। कुरैशी ने कहा कि आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दी जानी चाहिए थी। उनका बरी होना हमारा न्यायपालिका में अपना विश्वास खोने जैसा है। हम पीड़ितों के लिए यह काला दिन है। उन्होंने सवाल किया कि दंगों में जान गंवाने वाले क्या सुसाइड करके मरे? या फिर उन्होंने खुद को जलाकर मार डाला?

पीड़ित पक्ष ने कहा कि विशेष अदालत के फैसले को वे गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती देंगे। उनका कहना है कि भले ही हम छोटे अपराधों के अभियुक्तों के बरी होने को खारिज कर दें, लेकिन जिन पर हत्या का आरोप लगाया गया है, उनमें से कम से कम कुछ को दोषी ठहराया जा सकता है। 

मामले के एक अन्य गवाह ने अदालत में माया कोडनानी और जयदीप पटेल समेत 13 अभियुक्तों की पहचान की और उनके खिलाफ गवाही दी थी। उन्होंने कहा- "यह फैसला इंगित करता है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ राज्य प्रायोजित हिंसा में भाग लेने वाले मुक्त हो जाएगा। यह बड़े पैमाने पर लोगों के लिए एक अप्रत्यक्ष संदेश है। यह न्यायपालिका में हमारे विश्वास को कम करता है और वास्तव में न्यायपालिका की अनुपयुक्तता पर सवाल उठाता है।

गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आग लगाए जाने के बाद राज्यभर में दंगे भड़क गए थे। इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने की थी। जिन आरोपियों को बरी किया गया उनमें गुजरात सरकार में मंत्री रहीं कोडनानी (67), विहिप के पूर्व नेता जयदीप पटेल और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी शामिल हैं। इस मामले में कुल 86 आरोपी थे, जिनमें से 18 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई, जबकि एक को अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 169 के तहत साक्ष्य के आभाव में पहले आरोपमुक्त कर दिया था।

Web Title: Naroda Gam riot survivors challenge acquittal of the accused in High Court called the decision unconscionable

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