नरेंद्र मोदी सरकार बारी-बारी से सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों को ठिकाने लगाने में जुटी हुई है. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अनेक ऐसी इकाइयां है जिनके लिए सरकार को कोई ग्राहक नहीं मिल रहा है, नतीजा सरकार तारीख पर तारीख बढ़ा रही है.
हाल ही में एयर इंडिया में बोली लगाने वालों के लिए सरकार ने निर्धारित तिथि को आगे बढ़ाकर दरवाजे खोले है. पहले बोली लगाने के लिए 17 मार्च की तिथि निर्धारित की थी लेकिन अब उसे बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दिया गया है.
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार ने देश की 28 ऐसी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को चुना है जिनको उन्हें बेचने का इरादा है.
सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ इकाईयां भले ही घाटे में हो बावजूद इसके उन्हें फिर से शुरु करने की जगह सरकार ने ठिकाने लगाने का रास्ता चुना. इसमें कुछ ऐसी कंपनियां भी शामिल की गयी जो लगातार मुनाफा कमा रही है.
सरकार ने अब तक 28 कंपनियों को बेचने के लिए चुना है इनमें स्कूटर इंडिया लिमिटेड, ब्रिज एन्ड रुफ इंडिया लिमिटेड, हिन्दुस्थान न्यूजप्रिंट, भारत पंप एन्ड कम्प्रेसर लिमिटेड, सीमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया, सेंट्रल इलैक्ट्रोनिक लिमिटेड, बीईएमएल, फेरो स्क्रप निगम, पवन हंस लिमिटेड,एयर इंडिया एवं उसकी पांच सहायक कंपनिया, एचएलएल लाइफ केयर, हिन्दुस्तान एन्टीबायोटिक लिमिटेड, शिपिंग कारपोरेशन, बंगाल कैमिकल्स, भारत पेट्रोलियम, ईपीआईएल, एचपीएल, कंटेनर कारपोरेशन लिमिटेड, आईटीडीसी, आईएमपीसीएल सहित दूसरी कंपनियां शामिल है.
जहां एक ओर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को सरकारी स्वामित्व से मुक्त किया जा रहा है तो वहीं मुनाफा वाली संस्थाओं से दबाव डालकर निजी क्षेत्र की कंपनियों की आर्थिक सहेत सुधारने की कोशिश हो रही है. जिसका ताजा उदाहरण यस बैंक है जहां केवल एसबीआई ही नही, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई जैसी बंैकों के यस बैंक से निवेश कराया जा रहाहै ताकि उसकी माली हालात सुधर सके. परंतु जिन लोगों ने यस बैंक से भारी कर्ज लेकर नहीं चुकाया है उनसे वसूली के लिए सरकार ने अपनी किसी योजना का खुलासा नहीं किया है.