मोदी सरकार ने मांगे कॉल रिकॉर्ड, क्या सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हो रहा उल्लंघन?
By शीलेष शर्मा | Published: March 19, 2020 06:04 AM2020-03-19T06:04:46+5:302020-03-19T06:04:46+5:30
पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का जिक्र किया जो नौ सदस्यों की पीठ ने दिया था जिसमें निजता को मौलिक अधिकार की श्रेणी में रखने की बात कही गयी थी. तिवारी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार एक सुनियोजित ढंग से षडयंत्र के तहत नागरिकों के चुनींदा दिनों के कॉल डिटेल रिकार्ड मोबाइल कंपनियों से मांग रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार क्या सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर रही है यह सवाल उन खबरों के बाद उठने लगा है जिसके तहत केंद्र सरकार ने सभी टेलीफोन सेवा देने वाली कंपनियों से पिछले तीन महीनों के सभी लोगों के रिकॉर्ड तलब किए है.
गौरतलब है कि जब इस तरह का मुद्दा पूर्व में उठा था उस समय सर्वोच्च न्यायालय ने निजता को मौलिक अधिकार ठहराते हुए फैसला दिया था. कांग्रेस सरकार की इस कार्यवाही को लेकर हमला बोला.
पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का जिक्र किया जो नौ सदस्यों की पीठ ने दिया था जिसमें निजता को मौलिक अधिकार की श्रेणी में रखने की बात कही गयी थी. तिवारी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार एक सुनियोजित ढंग से षडयंत्र के तहत नागरिकों के चुनींदा दिनों के कॉल डिटेल रिकार्ड मोबाइल कंपनियों से मांग रही है.
पूर्व मंत्री ने पूछा कि सरकार साफ करें कि इस जानकारी को लेने की आवश्यकता सरकार को क्यों पड़ी है. 2013 में कानून को दुस्त-दुरुस्त किया था लेकिन मोदी सरकार उसे तोड़-मरोड़कर नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है. कांग्रेस ने सवाल उठाया कि सरकार आखिर किस कानून के तहत नागरिकों के कॉल रिकार्ड मांग रही है और क्या उसके पास इसे मांगने का कोई अधिकार है.