नारद मामला : अदालत ने ममता और अन्य को हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी

By भाषा | Updated: June 30, 2021 22:54 IST2021-06-30T22:54:48+5:302021-06-30T22:54:48+5:30

Narada case: Court allows Mamata and others to file affidavits | नारद मामला : अदालत ने ममता और अन्य को हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी

नारद मामला : अदालत ने ममता और अन्य को हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी

कोलकाता, 30 जून कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नारद स्टिंग टेप मामले में सीबीआई के स्थानांतरण आवेदन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कानून मंत्री मलय घटक द्वारा दायर हलफनामे को बुधवार को पांच-पांच हजार रुपये के टोकन शुल्क के आधार पर रिकॉर्ड पर लेने का निर्देश दिया।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने आदेश दिया कि एक हफ्ते के भीतर राशि राज्य विधि सेवा प्राधिकरण में जमा कराई जाए। इस पीठ में न्यायमूर्ति आईपी मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्ययमूर्ति सौमन सेन और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी शामिल हैं। पूर्व में पीठ ने मुख्यमंत्री और कानून मंत्री द्वारा दायर हलफनामें को दाखिल करने में देरी की वजह से रिकॉर्ड पर नहीं लिया था।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 25 जून को राज्य, मुख्यमंत्री और कानून मंत्री के जवाबी हलफनामे को नहीं स्वीकार करने के नौ जून के उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करते हुए पांच न्यायाधीशों की पीठ से कहा था कि वह सीबीआई द्वारा नारद टेप मामले को विशेष सीबीआई अदालत से उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने के लिए दायर आवेदन पर फैसला लेने से पहले नए सिरे से इन आवेदनों पर विचार करे।

राज्य सरकार सहित कुल तीन याचिकाए शीर्ष न्यायालय में दाखिल की गई थी जिसमें उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी गई जिसमें 17 मई को सीबीआई द्वारा पश्चिम बंगाल के मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हकीम, तृणमूल कांग्रेस विधायक मदन मित्रा, कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी की गिरफ्तारी में बनर्जी और घटक की भूमिका को लेकर उनके द्वारा दायर हलफमनामों को अस्वीकार कर दिया गया था।

सीबीआई ने मामले के हस्तांतरण में मुख्यमंत्री और राज्य के कानून मंत्री को पक्षकार बनाया है। सीबीआई ने दावा किया कि चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के तुरंत बाद मुख्यमंत्री एजेंसी के कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गई जबकि घटक 17 मई को सीबीआई की विशेष अदालत में मामले की वीडियो कांफ्रेंस के जरिये सुनवाई के दौरान अदालत परिसर में मौजूद रहे।

शीर्ष अदालत के आदेश के बाद राज्य सरकार, मुख्यमंत्री और कानून मंत्री ने हलफनामा दाखिल करने के लिए सोमवार को नए सिरे से आवेदन किया था। मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया था कि उन्हें सीबीआई की याचिका और हलफनामे के जवाब में प्रति उत्तर हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी जाए और उसे रिकॉर्ड के हिस्से तौर पर स्वीकार किया जाए। राज्य सरकार और कानून मंत्री ने भी इसी तरह का अनुरोध किया था।

उच्च न्यायालय की पीठ ने निर्देश दिया कि राज्य, मुख्यमंत्री और कानून मंत्री द्वारा दायर आवेदन में कई आरोप लगाए गए हैं और सीबीआई इसके 10 दिन में जवाब देने या जवाबी हलफनामा जमा दाखिल करने के लिए अधिकृत है।

अदालत ने इसके साथ ही मामले की सुनवाई 15 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।

मुख्यमंत्री और घटक का पक्ष रख रहे राकेश द्विवेदी ने कहा कि शुल्क का भुगतान करते ही हलफनामे रिकॉर्ड पर दर्ज हो जाएंगे। मुख्यमंत्री और घटक के आवेदन का विरोध करते हुए भारत के सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में आरोप है कि राज्य कानून व्यवस्था को कायम रखने के कर्तव्य का पालन करने में असफल रहा जबकि बनर्जी और घटक आरोपी नहीं थे लेकिन सरकार के उच्च पदों पर पदस्थ हैं।

उन्होंने कहा कि आरोपों का पहले ही अवसर पर जवाब दिया जाना चाहिए था। उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने नारद टेप मामले के आरोपियों को 28 मई को अंतरिम जमानत दे दी थी।

गौरतलब है कि नारद स्टिंग ऑपरेशन नारद न्यूज के पत्रकार मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में किया था जिनमें तृणमूल कांग्रेस के कुछ मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिख रहे लोग लाभ देने के एवज में पैसे लेते हुए हुए दिखाई दे रहे हैं।

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Web Title: Narada case: Court allows Mamata and others to file affidavits

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