बिहार में 'नमामि गंगे' का हाल बेहाल, आठ साल बाद भी गंगा का वही है हाल

By एस पी सिन्हा | Published: November 21, 2022 03:35 PM2022-11-21T15:35:21+5:302022-11-21T15:35:21+5:30

2014 से शुरु हुई यह योजना बिहार में अभी तक धरातल पर नजर नहीं आ रहा है। परिणामस्वरूप सूबे में गंगा नदी के किनारे बसे शहरों का गंदा पानी सीधे गंगा नदी में गिर रहा है।

Namami Gange Project in Bihar not effective after 8 years | बिहार में 'नमामि गंगे' का हाल बेहाल, आठ साल बाद भी गंगा का वही है हाल

बिहार में 'नमामि गंगे' का हाल बेहाल, आठ साल बाद भी गंगा का वही है हाल

Highlights सूबे में गंगा नदी के किनारे बसे शहरों का गंदा पानी सीधे गंगा नदी में गिर रहा हैगंगा किनारे ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर स्वच्छ करने के सारे वादे अब तक सिर्फ कागजों पर हैंआज भी सैकड़ों लोग गंगा किनारे शौच के लिए जाते हैं, लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है

पटना: गंगा की सफाई के उद्देश्य से शुरू किया गया 'नमामि गंगे' योजना का हाल भी विश्वास बोर्ड जैसा होता दिख रह है। 2014 से शुरु हुई यह योजना बिहार में अभी तक धरातल पर नजर नहीं आ रहा है। परिणामस्वरूप सूबे में गंगा नदी के किनारे बसे शहरों का गंदा पानी सीधे गंगा नदी में गिर रहा है। 

दरअसल, गंगा नदी को पर्यावरण मंत्रालय ने सबसे अधिक प्रदूषित और खतरे में घोषित किया। गंगा को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण योजना नमामि गंगे बनाई। नमामि कार्यक्रम, पर्यावरण और वन मंत्रालय के प्रोजेक्ट नैशनल मिशन फोर क्लीन गंगा (एमसीजी) का फ्लैगशिप प्रोग्राम यानि सबसे प्रमुख कार्यक्रम है। 

इस नमामि गंगे योजना के क्रियान्वयन में जल संसाधन और नदी विकास कार्यालय भी सम्मलित हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिए बजट को चार गुना कर 20,000 करोड़ रुपयों की मजूरी दी और नमामि गंगे योजना को 100 फीसदी केन्द्रीय हिस्सेदारी के साथ केन्द्रीय योजना का रूप दिया गया। 

गंगा की सफाई भी एक आर्थिक एजेंडा है। इसके तहत सीवरेज उपचार क्षमता का निर्माण करना है। बिहार में नमामि गंगा से जुड़ी 6356.88 करोड़ रुपये की परियोजनाएं चल रही है। कई जगह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पहले बना दिए गए और सीवर लाइन बाद में बनाई जा रही है। पटना शहर में 1097 किमी सीवर लाइन तथा 350 एमएलडी क्षमता की छह सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण जारी है। 

पटना में 372.755 करोड़ की पहाड़ी सीवरेज जोन फाइव परियोजना, 277.42 करोड़ की करमलीचक सीवरेज नेटवर्क, 184.86 करोड़ की पहाड़ी सीवरेज जोन चार और 191.62 करोड़ की पहाड़ी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर काम चल रहा है। लेकिन नमामि गंगे परियोजनाएं पूर्ण नहीं होने के कारण प्रदेश के 42 स्थानों पर बड़े नालों का गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। 

बिहार राज्य प्रदूषण पर्षद के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार पटना में 23, भागलपुर में छह, बक्सर में पांच, कहलगांव में चार, मुंगेर में एक, सुल्तानगंज में एक, सोनपुर में एक एवं छपरा में एक स्थान पर सीधे गंदा पानी गिरता है। जिस गंगा किनारे हजारों लोग कभी हर सुबह स्नान करने आते थे, आज उसी गंगा किनारे दो मिनट खड़ा रहना मुश्किल है। 

गंगा किनारे ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर स्वच्छ करने के सारे वादे अब तक सिर्फ कागजों पर हैं। आज भी सैकड़ों लोग गंगा किनारे शौच के लिए जाते हैं, लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। लोगों का कहना है कि अगर सरकार ने गंगा की साफ-सफाई पर करोड़ों खर्च किए हैं तो दिखता क्यों नहीं? सालों से गंगा की हालत जस की तस है। 

गंदगी की वजह से गंगा किनारे रहने वाले लोगों का जीना दूभर हो गया है। कई घाटों पर गंगा में मिली नाला के पानी में लोग स्नान करने के लिए मजबूर हैं।

Web Title: Namami Gange Project in Bihar not effective after 8 years

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