Nagpur news: सीमेंट का बिल रायपुर का, बिक रही नागपुर में! सरकार को चूना, फल-फुल रहा गोरखधंधा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 5, 2020 05:30 PM2020-03-05T17:30:49+5:302020-03-05T17:30:49+5:30

सरकार को टैक्स का चूना लगाकर लोगों को कम रेट पर सीमेंट उपलब्ध कराने का गोरखधंधा शहर में तेजी से फल-फुल रहा है. कारोबारी सूत्रों की मानें तो पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में कुछ बड़ी सीमेंट कंपनियों के डिपो/संयंत्र हैं.

Nagpur raipur cement bill maharashtra government loses thundering business flourishes | Nagpur news: सीमेंट का बिल रायपुर का, बिक रही नागपुर में! सरकार को चूना, फल-फुल रहा गोरखधंधा

टैक्स चोरी कर छत्तीसगढ़ के रास्ते नागपुर में सस्ते दाम पर बेची जाने वाली लगभग 200 टन (5-6 ट्रक) सीमेंट का समावेश होता है.

Highlightsगोरखधंधे से महाराष्ट्र में प्रशासन को जीएसटी का नुकसान होता है. साथ ही, जो सीमेंट व्यापारी ईमानदारी से ऊंचे दाम पर सीमेंट बेचते हैं.नागपुर शहर में अकेले एक दिन में औसतन सीमेंट के 50-60 ट्रक (लगभग 1200 टन) बिकती है.

आनंद शर्मा

नागपुर: हर इंसान अपना घर बनाने का सपना देखता है. लेकिन महंगाई के इस दौर में इस सपने को पूरा कर पाना हरेक के बस की बात नहीं रह गई है.

रेती, स्टील के साथ ही सीमेंट के रेट निरंतर बढ़ते जा रहे हैं. इस सबके बीच, सरकार को टैक्स का चूना लगाकर लोगों को कम रेट पर सीमेंट उपलब्ध कराने का गोरखधंधा शहर में तेजी से फल-फुल रहा है. कारोबारी सूत्रों की मानें तो पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में कुछ बड़ी सीमेंट कंपनियों के डिपो/संयंत्र हैं.

यहां से रेट कॉन्ट्रैक्ट पर बड़े पैमाने पर सीमेंट खरीदने वाले कारोबारी सीमेंट की डिलीवरी कागजों पर रायपुर या छत्तीसगढ़ के अन्य शहर की बताते जरूर हैं, लेकिन यह माल नागपुर भेज दिया जाता है. इनकी चेकिंग भी चेकपोस्ट पर नहीं होती है. इस सबके बीच, सीमेंट कंपनी छ.ग. में जो 28 फीसदी जीएसटी भरती है, उसका सेटऑफ भी यह कारोबारी ले लेते हैं. ऐसा होने से वे नागपुर में सीमेंट को मार्केट से कम रेट पर अन्य कारोबारी के जरिए बेचते हैं. इससे ग्राहकों को भी मार्केट रेट से 30-35 रुपए सस्ती सीमेंट मिल जाती है.

इस गोरखधंधे से महाराष्ट्र में प्रशासन को जीएसटी का नुकसान होता है. साथ ही, जो सीमेंट व्यापारी ईमानदारी से ऊंचे दाम पर सीमेंट बेचते हैं, उनका कारोबार भी प्रभावित होता है. आंकड़ों की बात करें तो नागपुर शहर में अकेले एक दिन में औसतन सीमेंट के 50-60 ट्रक (लगभग 1200 टन) बिकती है. इसमें टैक्स चोरी कर छत्तीसगढ़ के रास्ते नागपुर में सस्ते दाम पर बेची जाने वाली लगभग 200 टन (5-6 ट्रक) सीमेंट का समावेश होता है.

कार्टेल पर कौन कसेगा नकेल?

सीमेंट के रेट पिछले दो महीनों में काफी बढ़ गए हैं. इसकी वजह ‘कार्टेल’ है. प्रमुख सीमेंट कंपनियां मिलकर जब कोई निर्णय लेती है और उस पर अमल करती है, तो उसे कार्टेल कहा जाता है. इस तरह, यह कंपनियां सीमेंट के संपूर्ण मार्केट पर अपना कब्जा कायम रखने में सफल होती है. पिछले कुछ सालों से ऐसा ही होता दिख रहा है.

पिछले साल अप्रैल में सीमेंट के रेट ऊंचाई पर थे. बाद में मंदी की मार के चलते डिमांड कम होने पर इन कंपनियों ने भी सीमेंट के रेट घटा दिए थे. लेकिन दिसंबर के बाद जनवरी, फरवरी और अब मार्च में सीमेंट के रेट फिर से उछाल मारने लगे हैं. ऐसा कार्टेल के कारण ही हो रहा है. इससे आम उपभोक्ताओं को नाहक ऊंचे दाम पर सीमेंट खरीदनी पड़ रही है. उनका सवालन है कि इस स्थिति से बचाने के लिए सीमेंट कंपनियों के कार्टेल पर कौन नकेल कसेगा ?

सावधान! महंगे हो जाएंगे फ्लैट

सीमेंट के रेट काफी बढ़ गए हैं. इसमें 25 फीसदी से अधिक का उछाल आया है. जनवरी में सीमेंट की एक बोरी 240 रुपए में बिकी थी. जिसका रेट फरवरी में बढ़कर 260 और अब 5 मार्च को 310 रुपए तक जा पहुंचा है. आगामी दिनों भी रेट और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. क्रेडाई नागपुर मेट्रो के पदाधिकारी गौरव अगरवाला का कहना है कि सीमेंट के साथ ही स्टील के दाम में भी 10 फीसदी का इजाफा हुआ है. निर्माण सामग्री के बढ़ते दाम के चलते आगामी दिनों फ्लैट की कीमतों में सौ से डेढ़ सौ रुपए प्रति वर्ग फुट का इजाफा हो सकता है. ऐसे में कम रेट पर प्रॉपर्टी खरीदने का यही उचित समय है.

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