घर हुए और सस्ते, ग्राहकों को मिलेगा GST छूट का लाभ, बिल्डर्स नहीं वसूल सकेंगे मनमाना दाम
By गुणातीत ओझा | Published: November 16, 2020 04:41 PM2020-11-16T16:41:52+5:302020-11-16T16:46:27+5:30
सस्ते मकान का सपना हर कोई देखता है। लॉकडाउन से आए ठहराव के बावजूद आप अपने सपनों का घर आसानी से खरीद सकते हैं। इस कड़ी में सरकार ने एक ठोस कदम उठाया है।
सस्ते मकान का सपना हर कोई देखता है। लॉकडाउन से आए ठहराव के बावजूद आप अपने सपनों का घर आसानी से खरीद सकते हैं। इस कड़ी में सरकार ने एक ठोस कदम उठाया है। सरकार द्वारा निर्मित राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण (NAA) ने 2017 में माल और सेवा कर (GST) के रोलआउट के बाद भी खरीदारों को सस्ती कीमत का लाभ न देने पर बिल्डरों पर चाबुक चलाया है। कोरोना महामारी के चलते नेशनल एंटी-प्रोफिटरिंग अथॉरिटी यानी राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण अबतक चुप बैठा था लेकिन अब बिल्डरों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
इस महीने में अब तक मुनाफाखोरी नियामक ने दो डेवलपर्स को 18% ब्याज के साथ खरीदारों को मुनाफा देने वाली राशि पारित करने के लिए फ्लैटों की कीमतों में कटौती करने का आदेश दिया है।
हालांकि, नेशनल एंटी-प्रोफिटरिंग अथॉरिटी ने बिल्डरों पर जुर्माना लगाने से पहले जारी किए गए नोटिसों को वापस ले लिया है। रियल एस्टेट डेवलपर्स के खिलाफ मुनाफाखोरी के दावों के मामले में नेशनल एंटी-प्रोफिटरिंग अथॉरिटी द्वारा हाल के आदेशों की एक श्रृंखला सामने आई है।
इस महीने, नेशनल एंटी-प्रोफिटरिंग अथॉरिटी ने पहले दो अन्य बिल्डरों को ग्राहकों को टैक्स क्रेडिट के लाभों को पारित करने के आदेश जारी किए, लेकिन जुर्माना लगाने की कार्यवाही को रोक दिया।
पूरे देश में 1 जुलाई 2017 को GST कानून लागू हुआ था। इस कानून के तहत बिल्डर्स को बिल्डर्स अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर बिल्डिंग मैटेरियल, सर्विसेज और दूसरी सुविधाओं पर टैक्स छूट ले सकते थे, जो पहले नहीं था। GST की पहली पॉलिसी में केंद्र और राज्य सरकारें अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टीज पर कई तरह के टैक्स वसूलती थी, जो कुल मिलाकर 5.5-6.5 प्रतिशत होता था। लेकिन नई पॉलिसी में इसे बारह परसेंट कर दिया गया है। GST था। काउंसिल ने इनपुट टैक्स क्रेडिट देने का फैसला वापस ले लिया और टैक्स रेट को बारह परसेंट से घटाकर पांच परसेंट कर दिया। अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के केस में ये टैक्स 8 परसेंट से घटाकर एक परसेंट कर दिया गया। इस नए नियम को 1 अप्रैल 2019 से लागू किया गया था।
बिल्डरों ने केवल टैक्स दर को देखते हुए कीमतें बढ़ाई थीं और खरीदारों को टैक्स क्रेडिट लाभ पर नहीं दे रहे थे। इसे देखते हुए जीएसटी परिषद ने इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस ले लिया और टैक्स की दर को 12% से घटाकर 5% कर दिया। किफायती आवास परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए अप्रैल 2019 से इसे 8% से 1% तक कर दिया।
2019 के अंत तक स्थगित 38 मामलों में से लगभग 80% मामलों में बिल्डरों के खिलाफ मुनाफाखोरी के आरोप साबित हुए थे।