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कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में आपसी सहयोग बहुमूल्य सीख है, 10 देशों के साथ कार्यशाला में बोले मोदी

By भाषा | Updated: February 18, 2021 20:12 IST

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नयी दिल्ली, 18 फरवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 महामारी के दौरान दिखाई गई क्षेत्रीय एकजुटता का उल्लेख करते हुए बृहस्पतिवार को दक्षिण एशियाई और हिंद महासागर के द्वीपीय देशों के बीच अपनी-अपनी चुनौतियों का सामना करने के लिए सहयोग और समन्वय को और मजबूत बनाने का आह्वान किया।

‘‘कोविड-19 प्रबंधन: अनुभव, अच्छी कार्यप्रणाली और भावी राह’’ पर विस्तारित पड़ोसियों सहित 10 पड़ोसी देशों के साथ आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सहयोग की भावना इस महामारी की महत्वपूर्ण सीख है।

इस सम्मेलन में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालद्वीप, मॉरीशस, नेपाल, पाकिस्तान, सेशल्स और श्रीलंका के स्वास्थ्य क्षेत्र की हस्तियों, विशेषज्ञों और अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यशाला में भारत के अधिकारी और विशेषज्ञ भी शामिल हुए।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ 21वीं सदी को एशिया की सदी बनना है तो यह दक्षिण एशिया तथा हिंद महासागर के द्वीपियों देशों के बीच सहयोग और एकीकरण के बिना नहीं हो सकता। आपने महामारी के दौरान क्षेत्रीय एकता की जो भावना दिखायी है उससे यह साबित हो गया है कि एकीकरण संभव है।”

मोदी ने कहा कि खुलेपन और दृढ़ता की वजह से यह क्षेत्र पूरे विश्व में सबसे कम मृत्यु दर बनाए रखने में सफल हुआ।

उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों ने इस क्षेत्र के जनसंख्या घनत्व को देखते हुए महामारी को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं जताई थीं लेकिन इसके बावजूद विश्व के अन्य देशों के मुकाबले इस क्षेत्र में मृत्यु दर सबसे कम रही।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि विश्व और पूरे क्षेत्र की उम्मीदें अब टीकों की तेज गति से उपलब्धता पर टिकी हुई हैं और सभी को इस सहयोगात्मक भावना को बरकरार रखना चाहिए।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में इन देशों के बीच सहयोग की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि अब लक्ष्यों को और आगे बढ़ाने की जरूरत है।

सहयोग की भावना को आगे बढ़ाने के सिलसिले में उन्होंने कई अहम सुझाव भी दिए।

उन्होंने स्वास्थ्यकालीन आपातकाल की स्थिति में चिकित्सकों और नर्सों के आवागमन के लिए विशेष वीजा योजना बनाए जाने, कोविड-19 के टीकों के प्रभाव को लेकर डाटा संकलन और उसका अध्ययन करने के लिए एक क्षेत्रीय मंच बनाने और अन्य देशों द्वारा भारत में चलाई जा रही आयुष्मान भारत और जन आरोग्य जैसी योजनाओं को ‘‘केस स्टडी’’ के रूप में आगे बढ़ाने का सुझाव दिया।

उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हमारे नागर विमानन मंत्रालय चिकित्सा आपात स्थिति के लिए क्षेत्रीय एयर एम्बुलेंस समझौते के लिए समन्वय कर सकते हैं? भविष्य की महामारियों की रोकथाम के लिए टेक्नोलॉजी सहायक महामारी विज्ञान को प्रोत्साहित करने के लिए क्या एक क्षेत्रीय नेटवर्क तैयार कर सकते हैं?’’

प्रधानमंत्री ने सफल सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों और योजनाओं को साझा करने का भी सुझाव दिया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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