ग्राम प्रधान की हत्या : पुलिस ने अदालत से मांगी परिजन के नारको जांच की इजाजत
By भाषा | Published: August 4, 2021 06:21 PM2021-08-04T18:21:49+5:302021-08-04T18:21:49+5:30
बहराइच (उत्तर प्रदेश), चार अगस्त उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के जरवल रोड थाना क्षेत्र में करीब डेढ़ माह पूर्व साधारण सीट से निर्वाचित एक दलित ग्राम प्रधान की कथित हत्या के मामले में मेडिको लीगल विशेषज्ञों की राय के आधार पर पुलिस ने अदालत से आरोपी और पीड़ित पक्ष के चार लोगों के नारको परीक्षण कराने की इजाजत मांगी है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के मेडिको लीगल अधिकारी डॉक्टर जी. खान ने बुधवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि "साक्ष्यों के अनुसार इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ग्राम प्रधान द्वारिका प्रसाद की हत्या हुई है। मगर, हत्या बाहर के व्यक्ति ने की है अथवा घर के अंदर मौजूद व्यक्ति ने, इसकी पुष्टि आरोपी व पीड़ित पक्ष के लाई डिटेक्टर अथवा नारको टेस्ट से ही हो सकती है।"
खान ने कहा "मृतक को चोट बाईं ओर लगी है जबकि दरवाजा दाहिनी तरफ है। इसलिए शक मिटाने के लिए यह वैज्ञानिक परीक्षण कराना जरूरी है।"
जरवल रोड थाना प्रभारी प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि मेडिको लीगल विशेषज्ञ की राय पर अदालत से दोनों पक्ष के दो—दो लोगों के नारको टेस्ट कराने की इजाजत देने की मांग की गयी है। उन्होंने कहा कि इस पर आरोपी तो सहयोग कर रहे हैं लेकिन पीड़ित पक्ष लगातार अदालत में तारीख को लेकर टाल मटोल कर रहा है।
उन्होंने बताया कि पीड़ित पक्ष की ओर से अब तक तीन बार तारीख ली जा चुकी है और अब 10 अगस्त को अदालत ने अगली तारीख निर्धारित की है।
गौरतलब है जिले के जरवलरोड थाना क्षेत्र के करनईडीहा गांव के प्रधान द्वारिका प्रसाद राव को गत 16/17 जून की दरम्यानी रात घर के बरामदे में सोते समय अज्ञात लोगों ने गोली मार दी थी। गम्भीर रूप से घायल द्वारिका प्रसाद को इलाज के लिए लखनऊ ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान 20/21 जून की दरम्यानी रात उनकी मृत्यु हो गई।
पीड़ित पक्ष के लोग पुलिस पर आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस बीच, 'कांशीराम बहुजन मूल निवासी पार्टी' की राष्ट्रीय अध्यक्ष और बहराइच से भाजपा की सांसद रह चुकी सावित्री बाई फुले बुधवार को कलेक्ट्रेट पहुंची और जरवल रोड थाना क्षेत्र के करनईडीहा गांव के दलित ग्राम प्रधान की हत्या के मामले में पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ कथित रूप से कार्रवाई नहीं किये जाने के खिलाफ धरना दे रहे परिजन के साथ इस प्रदर्शन में शरीक हुईं।
परिजनों का आरोप है कि चुनाव की रंजिश को लेकर ग्राम प्रधान की हत्या की गई है और वारदात के डेढ़ महीने बाद भी नामजद अभियुक्त खुले घूम रहे हैं और पीड़ित परिवार को धमकी दे रहे हैं। पीड़ित पक्ष की मांग है कि आरोपियों के खिलाफ एससी—एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी हो।
इसी मामले को लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने कहा था "दलित प्रधान की हत्या में नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पीड़ित परिवार जिला कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठ रहा है, लेकिन उप्र सरकार खामोश है, यह अति दुखद है।"
पुलिस अधीक्षक सुजाता सिंह ने इस बारे में कहा कि मृतक के परिवार का पक्ष मामले की विवेचना में सहयोग नहीं कर रहा है।
उधर, जिला पुलिस ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट कर दावा किया "घटना के संबंध में प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात की गई। जिसमे मरने वाले के पुत्र राममनोरथ के अलावा बसपा जिलाध्यक्ष अजय कुमार गौतम, पूर्व बसपा जिलाध्यक्ष विजय कुमार गौतम, बसपा नेता अशर्फी लाल शामिल थे। सभी से वार्ता की गई एवं उनको निष्पक्ष विवेचना का आश्वासन दिया गया। प्रतिनिधि मंडल द्वारा वार्ता से सन्तुष्ट होकर धरना समाप्त किये जाने का वादा किया गया।"
हालांकि पीड़ित पक्ष के संतुष्ट होने व धरना समाप्ति के वादे के पुलिस के दावे के बावजूद अंतिम समाचार मिलने तक पीड़ित परिवार का धरना जारी है।
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