उत्तर प्रदेश में जल्द हो सकते हैं निकाय चुनाव, अप्रैल के अंतिम सप्ताह में शुरू होने की उम्मीद
By राजेंद्र कुमार | Published: March 10, 2023 04:51 PM2023-03-10T16:51:33+5:302023-03-10T17:02:08+5:30
शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कुल 22 प्रस्तावों पर फैसला लिया गया। इन फैसलों की जानकारी देते हुए नगर विकास मंत्री ने अरविंद कुमार शर्मा ने आधे से भी कम समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को रिपोर्ट सौंपने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के सराहना की और कहा कि 11 अप्रैल को इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में तारीख है।
लखनऊ:उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में पिछड़ी जाति को आरक्षण देने के संबंध में उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में योगी सरकार की मंजूरी शुक्रवार को मिल गई। 350 पेज की इस रिपोर्ट में चक्रानुक्रम आरक्षण में नियमों का पालन न करने की जानकारी दी है।
इसके साथ ही चुनाव प्रक्रिया को फूलप्रूफ बनाने को लेकर कई सुझाव दिए गए हैं। अब इस रिपोर्ट को उच्चतम न्यायालय में पेश किया जाएगा। 11 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय में इस मामले में सुनवाई होगी, जिसके बाद निकाय चुनाव की प्रक्रिया तय की जाएगी। प्रदेश के नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने अप्रैल के अंत तक निकाय चुनाव शुरू होने की संभावना जताई है।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कुल 22 प्रस्तावों पर फैसला लिया गया। इन फैसलों की जानकारी देते हुए नगर विकास मंत्री ने अरविंद कुमार शर्मा ने आधे से भी कम समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को रिपोर्ट सौंपने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के सराहना की और कहा कि 11 अप्रैल को इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में तारीख है।
सर्वोच्च न्यायालय में सरकार आयोग की रिपोर्ट एक दो दिनों में पेश कर देगी फिर ओबीसी को नियमानुसार सम्पूर्ण आरक्षण दिया जाएगा और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत चुनाव कराए जाएंगे।
गौरतलब है कि योगी सरकार ने दिसंबर 2022 में यूपी के निकाय चुनाव के लिए आरक्षण सूची जारी की थी। सूबे के 17 नगर निगम के मेयर चुनाव के लिए लखनऊ, कानपुर, बरेली, शाहजहांपुर, गोरखपुर और फिरोजाबाद सीट अनारक्षित थी। आगरा अनुसूचित जाति की महिला और झांसी नगर निगम के मेयर का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। मथुरा और अलीगढ़ अन्य पिछड़ा वर्ग महिला, मेरठ और प्रयागराज अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए रिजर्व की गई थी। अ
योध्या, सहारनपुर और मुरादाबाद सीट महिला के लिए आरक्षित की गई थी। ऐसे ही नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष पद की सीटों के साथ ही वार्ड पार्षद के लिए भी आरक्षण सूची जारी कर दी गई थी। यूपी निकाय चुनाव को लेकर जारी हुई इस आरक्षण सूची पर आपत्ति जताते हुए तमाम लोगों ने अदालत में याचिका दाखिल की थी।
हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए बिना आरक्षण के ही चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी तो सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ओबीसी आयोग का गठन करके 31 मार्च 2023 तक जिलों का सर्वे कराकर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे।
सरकार ने दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट के जस्टिस रहे राम औतार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय ओबीसी आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने गत नौ मार्च को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी थी।
बदलेगा सीटों का आरक्षण
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री को सौंपी 350 पेज की रिपोर्ट में आयोग ने आरक्षण प्रक्रिया को फूलप्रूफ बनाने के लिए मौजूदा कानून में बदलाव के साथ कई महत्वपूर्ण सिफारिश की गई हैं। इस रिपोर्ट में ऐसी कई ऐसी सीटों का जिक्र किया गया है, जहां 30 साल से आरक्षण बदला ही नहीं गया।
इन सीटों को एक ही जाति या श्रेणी के लिए आरक्षित किए जाने का खुलासा किया गया है। आयोग ने वर्ष 2002 से वर्ष 2017 की अवधि में कराये गए निकायों चुनावों में आरक्षण के लिए अपनाई गई प्रक्रिया का विश्लेषण कर अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है।
अब ओबीसी आयोग की इस रिपोर्ट के के आधार पर नगर विकास विभाग ट्रिपल टेस्ट के आधार पर नगरीय निकायों में मेयर, अध्यक्ष और पार्षद सीटों का नए सिरे से आरक्षण करेगा। निकाय चुनाव के लिए सीटों का आरक्षण ट्रिपल टेस्ट के आधार पर होगा, जिससे मेयर-अध्यक्ष-पार्षद की सीटों का आरक्षण पूरी तरह से बदल जाएगा।