मुंबई पुलिस ने रेमडेसिविर के भंडारण पर फार्मा कंपनी के निदेशक से पूछताछ की, भाजपा ने नाराजगी जताई
By भाषा | Published: April 18, 2021 04:40 PM2021-04-18T16:40:38+5:302021-04-18T16:40:38+5:30
मुंबई, 18 अप्रैल कोरोना वायरस के उपचार में महत्वपूर्ण मानी जाने वाली रेमडेसिविर दवा की हजारों शीशियां देश से बाहर भेजी जाने वाली है, यह खबर मिलने पर मुंबई पुलिस ने एक फार्मा कंपनी के निदेशक से पूछताछ की है। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि रेमडेसिविर के निर्यात पर पाबंदी है लेकिन सूचना मिली थी कि इसका माल एयर कार्गो के जरिए विदेश भेजा जाने वाला है।
फार्मा कंपनी के निदेशक से पूछताछ के बाद बीकेसी पुलिस थाने में महाराष्ट्र भाजपा के शीर्ष नेताओं के पहुंचने के कारण शिवसेना नीत राज्य सरकार और भाजपा के बीच कोरोना वायरस महामारी से निबटने और स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण सामग्रियों के अभाव को लेकर राजनीतिक तनातनी बढ़ गई है।
पुलिस ने शनिवार रात को केंद्र शासित प्रदेश दमन की ब्रुक फार्मा के निदेशक राजेश डोकानिया से पूछताछ की थी। उनकी कंपनी रेमडेसिविर का उत्पादन करती है।
डोकानिया को विले पार्ले पुलिस ने रात को करीब साढ़े आठ बजे पूछताछ के लिए बुलाया था और आधी रात के बाद जाने दिया था।
पुलिस के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि ऐसी सूचना मिली थी कि रेमडेसिविर की कम से कम 60,000 शीशियां एयर कार्गो के जरिए देश से बाहर भेजी जानी है। उन्होंने कहा कि दवा की मात्रा काफी अधिक थी इसलिए पुलिस ने इसके बारे में कंपनी के निदेशक से पूछताछ करने का फैसला किया।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘उन्होंने कम से कम 60,000 शीशियां जमा कर रखी थीं। कोरोना वायरस के रोगियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली इस दवा की कमी की वजह से राज्य और केंद्र सरकार ने उन्हें इस माल को घरेलू बाजार में बेचने की इजाजत दी थी। हालांकि, मूल रूप से यह निर्यात के लिए थी।’’
डीसीपी मंजूनाथ सिंघे ने कहा, ‘‘हमारा इरादा नेक था क्योंकि इतनी सारी दवा यहां (महाराष्ट्र) के मरीजों की जरूरत पूरी कर सकती है।’’
महाराष्ट्र में विपक्षी भाजपा ने मुंबई पुलिस द्वारा फार्मा कंपनी के निदेशक से पूछताछ किए जाने पर आपत्ति जताई है और कहा है कि राज्य की शिवसेना नीत सरकार महामारी के बीच राजनीति कर रही है।
ऐसा लगता है कि भाजपा ने महाराष्ट्र में वितरण के लिए दवा का बंदोबस्त किया था।
डोकानिया से पूछताछ किए जाने की खबर मिलने पर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य भाजपा के अन्य नेता प्रवीण दारेकर पुलिस थाने पहुंच गए।
फडणवीस ने कहा कि भाजपा की महाराष्ट्र इकाई ने रेमडेसिविर की कमी को देखते हुए विभिन्न दवा कंपनियों से संपर्क साधा था। उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र के लिए रेमडेसिविर की व्यवस्था करने के लिए हमने गंभीर प्रयास किया था।’’
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘‘हमने चार दिन पहले ब्रुक फार्मा से रेमडेसिविर की आपूर्ति करने का अनुरोध किया था लेकिन तब तक अनुमति नहीं मिल पाने की वजह से वे ऐसा नहीं कर सके। मैंने केंद्रीय (रसायन और उर्वरक राज्य) मंत्री मनसुख मांडविया से बात की थी और हमें एफडीए (खाद्य और औषधि प्रशासन) से मंजूरी मिल गई थी।’’
महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता फडणवीस ने दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) ने फार्मा कंपनी के अधिकारी को बुलाया था और उनसे पूछा कि वह विपक्षी दलों की अपील पर रेमडेसिविर की आपूर्ति कैसे कर सकते हैं।
फडणवीस ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने फार्मा कंपनी के निदेशक को शनिवार रात उनके घर से पकड़ा था। फडणवीस ने इस कार्रवाई को ‘कल्पना से परे’ बताया।
भाजपा नेता ने कहा कि राज्य सरकार केंद्रशासित क्षेत्र दमन में रहने वाले फार्मा कंपनी के निदेशक को तंग कर रही है क्योंकि भाजपा नेताओं ने उनसे राज्य में रेमडेसिविर दवा की आपूर्ति के लिए संपर्क साधा था।
फडणवीस ने कहा, ‘‘हमने (भाजपा नेताओं ने) महाराष्ट्र में रेमडेसिविर की कमी को देखते हुए ब्रुक फार्मा से संपर्क साधा था। हमने राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) मंत्री को भी इस बाबत सूचित किया था और आवश्यक अनुमति के लिए केंद्र सरकार से भी संपर्क किया था।’’
फडणवीस ने बताया कि महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं ने हाल ही में दमन जाकर ब्रुक फार्मा के अधिकारियों से मुलाकात की थी और उनसे निर्यात के लिए रखा गया माल महाराष्ट्र में बेचने का अनुरोध किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘कंपनी की ओर से उन्हें बताया गया कि यदि केंद्र और राज्य सरकार मंजूरी देंगे तो वे पूरा माल महाराष्ट्र को बेच देंगे।’’
महाराष्ट्र के मंत्री जयंत पाटिल ने ट्वीट किया, ‘‘रेमडेसिविर की किल्लत को देखते हुए कल रात मुंबई पुलिस ने आपूर्ति संबंधी गड़बड़ी/जमाखोरी पर नजर रखने के अपने कर्तव्य को बखूबी निभाया। असल सवाल यह है कि क्या कोई भाजपा नेता, राज्य सरकार, स्थानीय अधिकारियों और पुलिस को सूचित किए बिना लाखों रुपये की जीवनरक्षक दवा खरीद सकता है। यह निम्न स्तर है।’’
कार्यकर्ता साकेत गोखले ने फडणवीस के इस दावे पर सवाल उठाया है कि भाजपा ने दवा की यह खेप लोगों के बीच वितरित करने के लिए खरीदी थी। उन्होंने पूछा, ‘‘फडणवीस की तरह कोई व्यक्ति गुजरात से रेमडेसिविर कैसे खरीद सकता है, जबकि इसकी बिक्री केवल सरकार को ही करने की अनुमति है।’’
मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘रेमडेसिविर की आपूर्ति करने वाली एक फार्मा कंपनी के निदेशक से पुलिस ने शीशियों के भंडार के सिलसिले में पूछताछ की थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विशिष्ट सूचना के आधार पर पुलिस ने फार्मा कंपनी के निदेशक को पकड़कर विले पार्ले में रखा था।’’
अधिकारी ने कहा कि दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगने के बाद उन्होंने उसकी कम से कम 60,000 शीशियों का भंडार जमा कर रखा था। राज्य और केंद्र सरकार ने उन्हें इसे घरेलू बाजार में बेचने की अनुमति दे दी है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने पाया कि उन्होंने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया, हमने उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की। उनसे दवा के भंडार के बारे में पूछताछ की गयी, जिसके बाद उन्होंने जरूरी दस्तावेज पेश कर दिये।’’
इस मामले में राजनीतिक तनातनी शनिवार सुबह उस समय शुरू हुई जब महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार रेमडेसिविर उत्पादकों पर महाराष्ट्र में उनका स्टॉक नहीं बेचने के लिए दबाव बना रही है।
राज्य के भाजपा नेताओं के साथ ही केंद्र सरकार के दो मंत्रियों ने भी महाराष्ट्र सरकार पर पलटवार किया और इन आरोपों को ‘झूठा’ करार दिया। केंद्रीय मंत्रियों ने इसे महामारी पर सियासत करने की कोशिश करार दिया।
फडणवीस ने कहा, ‘‘मलिक और कुछ मंत्रियों को कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे लोगों की परेशानियों से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें सियासत में ज्यादा दिलचस्पी है।
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