मप्र : बेरोजगारी पर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में नारेबाजी, तीन दिन बाद आदिवासी छात्रों से पुलिस की लंबी पूछताछ
By भाषा | Updated: December 28, 2021 22:35 IST2021-12-28T22:35:30+5:302021-12-28T22:35:30+5:30

मप्र : बेरोजगारी पर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में नारेबाजी, तीन दिन बाद आदिवासी छात्रों से पुलिस की लंबी पूछताछ
इंदौर, 28 दिसंबर मध्यप्रदेश में बैकलॉग के सरकारी पदों पर भर्ती और अन्य मांगों को लेकर इंदौर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हालिया कार्यक्रम में नारेबाजी करने के मामले में करीब 50 आदिवासी छात्रों से पुलिस ने शासकीय संस्कृत महाविद्यालय में मंगलवार को लंबी पूछताछ की।
कांग्रेस की युवा इकाई ने पुलिस के इस कदम पर गहरी आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि शिक्षा के मंदिर में विद्यार्थियों को पूछताछ के नाम पर करीब छह घंटे नजरबंद रखा गया।
पुलिस की लंबी पूछताछ से गुजरे एक छात्र ने संवाददाताओं से कहा कि पूछताछ के दौरान उसका मोबाइल जब्त कर लिया गया था।
उधर, संस्कृत महाविद्यालय में आदिवासी छात्रों से पूछताछ करने वाले पुलिस उप निरीक्षक जयंत दत्त शर्मा का कहना है, ‘‘हमने न तो विद्यार्थियों को नजरबंद किया, न ही उनके मोबाइल जब्त किए। हाल ही में शहर के एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान हुड़दंग किया गया था। इसके वीडियो फुटेज सामने आए हैं। हमने हुड़दंगियों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए छात्रों से सिर्फ पूछताछ की है।’’
शासकीय संस्कृत महाविद्यालय की प्रभारी प्राचार्य अरुणा कुसुमाकर ने बताया, ‘‘इंदौर में शनिवार (25 दिसंबर) को मुख्यमंत्री की मौजूदगी में हुए एकलव्य जनजातीय विद्यार्थी सम्मेलन में कुछ छात्रों द्वारा नारेबाजी और अनुचित व्यवहार के बारे में जानकारी लेने पुलिस हमारे महाविद्यालय आई और विद्यार्थियों से पूछताछ की।’’
प्राचार्य ने बताया कि पुलिस ने उन विद्यार्थियों की सूची ली है जिन्होंने जनजातीय विद्यार्थी सम्मेलन में हिस्सा लिया था।
मौके पर पहुंचे प्रदेश युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष जावेद खान ने कहा, ‘‘जनजातीय विद्यार्थी सम्मेलन में आक्रोशित छात्रों की नारेबाजी के बाद खुद मुख्यमंत्री चौहान ने कहा था कि बैकलॉग के खाली पदों पर एक साल के भीतर भर्ती कर ली जाएगी। लेकिन अपने हक की आवाज उठाने वाले विद्यार्थियों को पुलिस ने आज (मंगलवार) पूछताछ के नाम पर शिक्षा के मंदिर में करीब छह घंटे तक नजरबंद रखा।’’
उन्होंने कहा कि जब पुलिस के आला अफसरों को फोन कर इस कदम पर विरोध जताया गया, तब जाकर संस्कृत महाविद्यालय के आदिवासी छात्रों को घर जाने की अनुमति दी गई।
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