मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के नसरुल्लागंज शहर का नाम बदलकर हुआ भैरूंदा, सीएम शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा क्षेत्र में आता है शहर
By रुस्तम राणा | Updated: April 2, 2023 15:48 IST2023-04-02T15:48:36+5:302023-04-02T15:48:36+5:30
भाजपा शासित मध्य प्रदेश सरकार ने 7 दिसंबर 2022 को नसरुल्लागंज का नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था, जिसके बाद केंद्र ने राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के नसरुल्लागंज शहर का नाम बदलकर हुआ भैरूंदा, सीएम शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा क्षेत्र में आता है शहर
भोपाल: मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के नसरुल्लागंज का नाम बदलकर भैरूंदा कर दिया गया है। रविवार को राज्य सरकार ने इस संबंध में राजपत्र जारी किया है। नसरुल्लागंज का नया नाम राज्य सरकार द्वारा पिछले साल प्रस्ताव भेजे जाने के बाद हुआ है। राज्य की बीजेपी शासित सरकार ने 7 दिसंबर 2022 को नसरुल्लागंज का नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था, जिसके बाद केंद्र ने राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
हालांकि इससे पहले ही मुख्यमंत्री चौहान ने 22 फरवरी 2021 को इस शहर का नाम बदलने का ऐलान कर दिया था। राज्य सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है। आपको बता दें कि नसरुल्लागंज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बुधनी विधानसभा क्षेत्र में स्थित है, जिसे अब भैरूंदा के नाम से जाना जाएगा। कांग्रेस ने राज्य सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस प्रवक्ता अजय यादव ने कहा है कि सरकार धर्म के आधार पर स्थानों के नाम बदलने की कवायद में जुटी है।
Madhya Pradesh | Name of Nasrullaganj in Sehore district has been changed to Bhairunda. pic.twitter.com/6ylEBLNy6c
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) April 2, 2023
बड़ी खबर
— Hardik Bhavsar (@Bitt2DA) April 2, 2023
शिवराज सरकार ने सीहोर जिले के नसरुल्लागंज का नाम बदलकर “भैरूंदा” कर दिया है.
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मध्य प्रदेश सरकार ने पिछले साल फरवरी में होशंगाबाद जिले का नाम बदलकर नर्मदापुरम और इसके बाबई कस्बे का नाम माखन नगर कर दिया था। बाबई प्रसिद्ध कवि माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली है। नवंबर 2021 में, भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर आदिवासी रानी कमलापति के नाम पर कर दिया गया। प्रदेश भाजपा सचिव रजनीश अग्रवाल ने दावा किया था कि नसरुल्लागंज का नाम बदलना स्थानीय नागरिकों की पुरानी मांग है।