जबलपुर, 28 अक्टूबर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक निजी फर्म को निर्देश दिया है कि वह प्रदेश में छतरपुर वन संभाग के बक्सवाहा उपमंडल में उसकी स्पष्ट अनुमति के बिना हीरा खनन या निर्माण गतिविधियां शुरु ना करे।
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति वी. के. शुक्ला की खंडपीठ ने मंगलवार को छतरपुर वन संभाग के बक्सवाहा उपमंडल में 382 हेक्टयर भूमि में फर्म को दिए गए हीरा खनन पट्टे को चुनौती देने वाली दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किए।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई है जबकि एक अन्य याचिका रामित बसु, एच. आर. मेलंता और पंकज कुमार द्वारा दायर की गई है।
अदालत ने कहा, ‘‘हमारे संज्ञान में यह लाया गया है कि जिस क्षेत्र के लिए राज्य द्वारा आशय पत्र जारी किया गया है वह छतरपुर वन संभाग के बक्सवाहा उपमंडल के तहत आता है।’’
अदालत ने कहा कि इसमें आगे देखा गया है कि यह क्षेत्र पन्ना टाइगर रिजर्व और नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य के बीच के गलियारे में पड़ता है।
यह देखते हुए की विचाराधीन भूमि पर प्राचीन संरचनाएं जैसे रॉक पेंटिंग आदि हैं अदालत ने निजी फर्म को उसकी अनुमति के बिना कोई खनन या निर्माण गतिविधियों को शुरु नहीं करने का निर्देश दिया है।
याचिका में कहा गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के अनुसार खनन गतिविधियों से लगभग 25 हजार साल पुराने रॉक पेंटिंग को नुकसान होगा। इसके साथ ही याचिका में यह भी दावा किया गया है कि खनन गतिविधियों के लिए क्षेत्र में दो लाख पेड़ काटे जाएंगे जो कि पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा होगा।
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