मप्र उच्च न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण बढ़ाने वाले अध्यादेश पर लगी रोक हटाने से किया इनकार
By भाषा | Published: September 2, 2021 06:18 PM2021-09-02T18:18:10+5:302021-09-02T18:18:10+5:30
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने वाले अध्यादेश पर लगी अपनी रोक हटाने से इंकार कर दिया। महाधिवक्ता पी के कौरव ने बृहस्पतिवार को यहां एक विज्ञप्ति में कहा कि प्रदेश सरकार ने रोक हटाने की मांग करते हुए अदालत में अपील की थी। मप्र उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए स्थगन आदेश ने प्रदेश में स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश और सरकारी भर्ती को प्रभावित किया था। प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के समक्ष इस स्थगन आदेश का विरोध किया। कौरव ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति वी के शुक्ला की युगलपीठ ने बुधवार को कहा कि वह आदेश जारी करने के बजाय 20 सितंबर को अध्यादेश का विरोध करने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ताओं के वकील आदित्य सांधी ने कहा कि अध्यादेश ने मध्यप्रदेश में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में कुछ आरक्षण को बढ़ाकर 63 प्रतिशत कर दिया जो कि उच्चतम न्यायालय द्वारा आज्ञापित 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा से बहुत अधिक है। सांघी ने कहा कि 19 मार्च 2019 को मप्र उच्च न्यायालय ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वर्ग के लिए आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने वाले मप्र सरकार के अध्यादेश पर रोक लगा दी थी।
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