इंदौर (मप्र) 28 जनवरी हिंदू देवी-देवताओं को लेकर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के बहुचर्चित मामले में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने हास्य कलाकार मुनव्वर फारुकी और एक अन्य प्रस्तोता नलिन यादव की जमानत याचिकाएं बृहस्पतिवार को खारिज कर दीं।
अदालत ने अपने इस आदेश में यह भी कहा कि देश में अलग-अलग तबकों के बीच सौहार्द्र और भाईचारा बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए।
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति रोहित आर्य ने फारुकी और यादव की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
एकल पीठ ने बृहस्पतिवार को जारी फैसले में दोनों आरोपियों की याचिकाएं खारिज करते हुए कहा, "मुकदमे के गुण-दोषों को लेकर संबंधित पक्षों की दलीलों पर अदालत कोई भी टिप्पणी करने से बच रही है। लेकिन मामले में जब्त सामग्री, गवाहों के बयानों और (पुलिस की) जांच जारी होने के चलते फिलहाल जमानत याचिकाओं को मंजूर नहीं किया जा सकता।"
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने फारुकी की ओर से पैरवी करते हुए सोमवार को उच्च न्यायालय से कहा था कि उनके मुवक्किल ने इंदौर के एक कैफे में एक जनवरी को आयोजित कार्यक्रम में ऐसा कोई भी शब्द नहीं कहा था जिससे किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती हो।
बहरहाल, शिकायतकर्ता एकलव्य सिंह गौड़ तथा मामले के कुछ गवाहों ने दंड प्रकिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत दर्ज बयानों में फारुकी और यादव के खिलाफ हिंदू देवी-देवताओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियों के आरोप लगाए गए हैं।
एकल पीठ ने बृहस्पतिवार के अपने आदेश में रेखांकित किया कि उसने ‘केस डायरी’ का अच्छी तरह अवलोकन किया है।
अदालत ने कहा, "मामले में अब तक जब्त सबूत और सामग्री पहली नजर में इशारा करती है कि (विवादास्पद) स्टैंड-अप कॉमेडी शो की आड़ में वाणिज्यिक तौर पर आयोजित सार्वजनिक कार्यक्रम में आरोपी द्वारा भारत के एक वर्ग के नागरिकों की धार्मिक भावनाओं को जान-बूझकर आहत करने के इरादे से अपमानजनक बातें कही गई थीं।"
बहरहाल, एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि उसके मौजूदा आदेश में मुकदमे के तथ्यों को लेकर की गई प्रत्येक टिप्पणी दोनों आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर निर्णय करने भर से संबंधित है और ऐसी किसी भी टिप्पणी का प्रकरण की निचली अदालत में लम्बित सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
एकल पीठ ने अपने 10 पृष्ठ के आदेश में यह भी कहा कि भारत एक सुंदर देश है और धर्म, भाषा, संस्कृति और भौगालिक स्थानों की तमाम विविधताओं के बीच सभी लोगों के मिल-जुलकर रहने की नजीर पेश करता है।
अदालत ने कहा कि राज्यों को इस बात के लिए अवश्य प्रयास करने चाहिए कि देश में सद्भाव और एकता की सामाजिक फिजा को "नकारात्मक शक्तियां" प्रदूषित न कर सकें।
देश में अलग-अलग तबकों के बीच सौहार्द्र और भाईचारा बढ़ाने के संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए एकल पीठ ने यह भी कहा कि इन प्रावधानों का लक्ष्य हासिल करने के लिए यत्न किए जाने चाहिए। अदालत ने इस सिलसिले में टिप्पणी की, "….क्योंकि ये प्रावधान कोई मृत अक्षर नहीं, बल्कि हमारे जीवंत संविधान का हिस्सा हैं।"
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक स्थानीय भाजपा विधायक के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ ने फारुकी और हास्य कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े चार अन्य लोगों के खिलाफ तुकोगंज पुलिस थाने में एक जनवरी रात को मामला दर्ज कराया था।
विधायक के पुत्र का आरोप है कि शहर के एक कैफे में एक जनवरी शाम आयोजित इस कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गोधरा कांड को लेकर अभद्र टिप्पणियां की गई थीं।
चश्मदीदों के मुताबिक एकलव्य अपने साथियों के साथ बतौर दर्शक इस कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्होंने कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के विरोध में जमकर हंगामा किया और कार्यक्रम रुकवाने के बाद फारुकी समेत पांच लोगों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि विवादास्पद कार्यक्रम को लेकर पांचों लोगों को भारतीय दंड विधान की धारा 295-ए और अन्य सम्बद्ध प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था। बाद में इस कार्यक्रम के आयोजन में शामिल होने के आरोप में एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।