MP Election Result 2023 : MP में अपनों से ही हारी कांग्रेस !, भाजपा के सामने कहीं नहीं टिके कांग्रेस के बूथ, सेक्टर और मंडलम

By आकाश सेन | Published: December 6, 2023 01:08 PM2023-12-06T13:08:05+5:302023-12-06T13:10:35+5:30

भोपाल: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस की करारी हार के बाद, अब चिंतन मनन का दौर जारी है। जहां नेता और कार्यकर्ता निराश है। तो वही पार्टी में बड़े बदलाव की बात भी होने लगी है। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कांग्रेस प्रत्याशियों की ली बैठक में भी ये बात सामने आई है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने भाजपा के संगठन से मुकाबला करने के लिए बूथ, सेक्टर और मंडलम स्तर पर समितियां बनाईं गई थी। लेकिन वह कहीं टिक नहीं पाईं, न तो ये समितियां पार्टी की बात असरदार तरीके से मतदाताओं तक पहुंचा पाईं और न ही जनता की नब्ज को टटोलने में सफल हुईं। 

MP Election Result 2023 :Congress lost against its own people in MP! Congress booths, sectors and circles are nowhere in front of BJP. | MP Election Result 2023 : MP में अपनों से ही हारी कांग्रेस !, भाजपा के सामने कहीं नहीं टिके कांग्रेस के बूथ, सेक्टर और मंडलम

MP Election Result 2023 : MP में अपनों से ही हारी कांग्रेस !, भाजपा के सामने कहीं नहीं टिके कांग्रेस के बूथ, सेक्टर और मंडलम

Highlights MP में अपनों से ही हारी कांग्रेस !मतदान तक नेताओं के ईद-गिर्द सिमट गईं स्थानीय इकाइयां ।न तो मतदाताओं की नब्ज टटोल पाए।न अपनी बात समझाने में हुए सफल।

भोपाल: मध्य प्रदेश मेंकांग्रेस ने भाजपा के संगठन से मुकाबला करने के लिए बूथ, सेक्टर और मंडलम स्तर पर समितियां बनाईं लेकिन वह कहीं टिक नहीं पाईं। न तो ये समितियां पार्टी की बात असरदार तरीके से मतदाताओं तक पहुंचा पाईं और न ही जनता की नब्ज को टटोलने में सफल हुईं। जबकि, चुनाव का पूरा दारोमदार ही इन पर था। वहीं, युवा कांग्रेस को एक बूथ-दस यूथ बनाने का जो लक्ष्य दिया गया था, उस पर काम भी रस्मी ही रहा। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया अपना ही चुनाव लड़ने में व्यस्त रहे।


उधर पिछड़ा वर्ग विभाग के अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाहा भी अपने निर्वाचन क्षेत्र से बाहर नहीं निकले। हालांकि, यह दोनों अपना-अपना चुनाव जीत गए। मार्च 2020 में अल्पमत में आने के कारण सरकार छिनने के बाद कमल नाथ ने संगठन को भाजपा से मुकाबले के तैयार करने के लिए बूथ, सेक्टर और मंडलम पर काम किया।

प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में समितियां बनाईं। स्वयं इनकी निगरानी की और दौरों के समय पहले इन्हीं इकाइयों की बैठक की। प्रयास यही था कि संगठन को इतना मजबूत बना दिया जाए कि प्रत्याशी कोई भी हो, उसका कोई प्रभाव न पड़े पर यह प्रयोग कारगर नहीं हुआ। कई जगहों पर इसमें भी फर्जीवाड़े की शिकायतें मिलीं तो कमल नाथ ने नाराजगी भी जताई।

एमपी युवा कांग्रेस को प्रत्येक बूथ-दस यूथ की टीम तैयार करने का लक्ष्य दिया गया था।  जो सभी 230 विधानसभा सीटों तक पहुंच ही नहीं पाया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डा. विक्रांत भूरिया को पार्टी ने झाबुआ से प्रत्याशी बनाया तो वह वहीं सिमटकर रह गए।

युवा संगठन के अधिकतर पदाधिकारी प्रदेश की बाकी सीटों पर ध्यान देने के स्थान पर वहीं डट गए। यही स्थिति पार्टी के पिछड़ा वर्ग विभाग की भी रही। संगठन के अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाहा को सतना से चुनाव लड़ाया तो वह वहीं के होकर रह गए। उनकी संगठनात्मक टीम भी सतना में ही लगी रही।

वही भाजपा की बूथ प्रबंधन टीम निर्धारित दिशा में काम करती रही। प्रत्याशी के स्थान पर उन्होंने पार्टी का मत प्रतिशत बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। इसका लाभ भी मिला और पार्टी को वोट प्रतिशत 42.01 से बढ़कर 48.55 प्रतिशत हो गया। जबकि, कांग्रेस का वोट प्रतिशत 40.89 से घटकर 40 प्रतिशत ही रह गया।

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