एक हजार से ज्यादा बुद्धिजीवियों ने किया नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन, जारी किया बयान

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 21, 2019 14:11 IST2019-12-21T14:11:09+5:302019-12-21T14:11:09+5:30

बयान के मुताबिक, 'इस कानून के जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक रूप से उत्पीड़न के शिकार शर्णार्थियों को नागरिकता देने की मांग पूरी हुई है।

More than one thousand intellectuals supported the Citizenship Amendment Act, issued a statement | एक हजार से ज्यादा बुद्धिजीवियों ने किया नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन, जारी किया बयान

एक हजार से ज्यादा बुद्धिजीवियों ने किया नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन, जारी किया बयान

Highlightsबयान में कहा गया है कि हम भारत की संसद को बधाई देते हैं जिसने भुला दिए गए अल्पसंख्यकों की सुध ली।बयान के मुताबिक, 'हमारा मानना है कि सीएए से भारत के सेकुलर संविधान को कोई क्षति नहीं पहुंचती

नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के एक हजार से ज्यादा शिक्षाविदों ने बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया है कि व्यक्तिगत क्षमता के आधार पर हम इस कानून का समर्थन करते हैं। बयान के मुताबिक, 'इस कानून के जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक रूप से उत्पीड़न के शिकार शर्णार्थियों को नागरिकता देने की मांग पूरी हुई है। 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता फेल होने के बाद तमाम विचार धाराओं की पार्टियों ने मांग की थी कि ऐसे लोगों को नागरिकता दी जाए जिनमें से अधिकांश दलित हैं।'

बयान में कहा गया है कि हम भारत की संसद को बधाई देते हैं जिसने भुला दिए गए अल्पसंख्यकों की सुध ली। बयान के मुताबिक, 'हमारा मानना है कि सीएए से भारत के सेकुलर संविधान को कोई क्षति नहीं पहुंचती क्योंकि यह किसी भी देश के किसी भी धर्म के व्यक्ति की भारत की नागरिकता प्राप्त करने से नहीं रोकता। ना ही यह नागरिकता हासिल करने का क्राइटेरिया बदलता है। ' इस बयान में लोगों से अपील की गई है कि बिना किसी प्रोपेगेंडा में फंसे शांति बहाली की कोशिश करनी चाहिए।

इस बयान पर देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के एक हजार से ज्यादा शिक्षाविदों ने हस्ताक्षर किए हैं। इसमें प्रमुख रूप से प्रोफेसर, असिस्टेंड प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर शामिल हैं। इसके अलावा कुछ विदेशी कॉलेज के लोग भी शामिल हैं। वैज्ञानिक, एम्स, आईआईटी, आईआईएम और कानून के छात्रों ने भी इस कानून के लिए समर्थन जताया है। 

Web Title: More than one thousand intellectuals supported the Citizenship Amendment Act, issued a statement

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