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10 लाख से अधिक लाभार्थियों को कोविड-19 का टीका लगाया गया, मोदी ने कहा- डरने की कोई बात नहीं

By भाषा | Updated: January 22, 2021 23:07 IST

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नयी दिल्ली/वाराणसी, 22 जनवरी देश में कोविड-19 का टीका लेने वाले लाभार्थियों की संख्या शुक्रवार को 10 लाख के आंकड़े को पार कर गई। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीके को लेकर लोगों के एक वर्ग के बीच आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया और कहा कि राजनीति में सभी तरह की बातें कही जाती हैं लेकिन टीकाकरण अभियान वैज्ञानिकों से हरी झंडी मिलने के बाद ही शुरू किया गया।

भारत बायोटेक के कोवैक्सीन टीके को दी गई आपातकालीन-उपयोग की मंजूरी को लेकर कुछ व्यक्तियों द्वारा चिंता जताये जाने के बीच मोदी ने अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी के स्वास्थ्य कर्मियों के साथ आनलाइन संवाद किया और उन्हें बताया कि जब डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों ने टीके को हरी झंडी दी तो इससे टीके की प्रभावशीलता के बारे में लोगों के बीच बहुत मजबूत संदेश जाता है।

सरकार ने भूटान, मालदीव, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, मॉरिशस और सेशेल्स को अनुदान सहायता के तहत कोरोना वायरस के टीकों की खेप भी भेजी है और सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और मोरक्को सहित कई देशों को वाणिज्यिक आपूर्ति करने वाली है।

‘द लांसेट इंफेक्शियस डिजीज जर्नल’ में प्रकाशित प्रथम चरण के नतीजों में यह दावा किया गया है कि ‘कोवैक्सीन’ के प्रथम चरण के परीक्षणों में शामिल किये गये लोगों पर इसका कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं पड़ने और इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया भी बढ़ने का पता चला है।

कोवैक्सीन का कूट नाम बीबीवी152 है। भारत बायोटेक द्वारा वित्तपोषित अध्ययन के लेखकों ने कहा है कि प्रथम चरण के परीक्षण के दौरान इस टीके का कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि शुक्रवार तक लगभग 12.7 लाख स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना वायरस रोधी टीके दिये गए हैं। उसने कहा कि शुक्रवार को 6,230 सत्रों के माध्यम से शाम 6 बजे तक 2,28,563 लाभार्थियों को टीके लगाये गए।

मंत्रालय के अनुसार, टीकाकरण के अभी तक प्रतिकूल प्रभाव के 1,110 से अधिक मामले सामने आए हैं।

गुरूग्राम में छह दिन पहले कोरोना वायरस टीका लगाने वाली एक स्वास्थ्यकर्मी की मृत्यु हो गई लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अभी तक ऐसा कुछ सामने नहीं आया है जिससे इसका संबंध टीकाकरण से हो।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी वीरेंद्र यादव ने कहा कि 55 वर्षीय महिला राजवंती भंगरोला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में काम करती थीं और उनका विसरा जांच के लिए भेजा गया है।

ओडिशा में दो स्वास्थ्यकर्मियों को टीके लगाये जाने पर प्रतिकूल प्रभाव सामने आने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोनों की हालत स्थिर बताई गई है। पश्चिम बंगाल और असम में प्रतिकूल प्रभाव के पांच मामले सामने आए।

मोदी ने ऐसे समय स्वास्थ्यकर्मियों से संवाद किया जब टीके को लेकर कुछ स्वास्थ्यकर्मी भयभीत दिखे और टीकाकरण के लिए निर्धारित केंद्रों पर नहीं पहुंचे। मोदी ने कोविड योद्धाओं को वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और टीका बनाने में शामिल वैज्ञानिक प्रक्रिया के बारे में बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘अब राजनीति में तो इधर की भी बात होती है और उधर की भी बात होती है। मैं एक ही जवाब देता हूं। वैज्ञानिक जो कहेंगे, वही हम करेंगे। ये हम राजनीतिक लोगों का काम नहीं है कि हम तय करें। लंबी कठिन प्रक्रिया और वैज्ञानिक जांच पड़ताल के बाद टीके आए हैं।’’

मोदी ने 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान की शुरुआत की थी जिसमें सरकार ने शुरुआती चरण के लिए तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों को प्राथमिकता दी है। दो टीकों का उपयोग किया जा रहा है - कोवैक्सीन और कोविशील्ड।

मोदी ने कहा, ‘‘वह एक अज्ञात शत्रु था और हमारे वैज्ञानिक पूरे विश्वास के साथ इस अंजान दुश्मन का पीछा करते रहे। वैज्ञानिक तो आधुनिक ऋषि हैं। दिन-रात मेहनत करके उन्होंने यह काम किया। इसलिए इसका क्रेडिट आप सबको जाता है।’’

जिला महिला अस्पताल में एक मैट्रन पुष्पा देवी के साथ अपनी बातचीत शुरू करते हुए, मोदी ने पूछा कि क्या वह दूसरों को विश्वास के साथ कह सकती हैं कि टीका सुरक्षित है।

उन्होंने जवाब दिया, ‘‘मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे टीका लगा।’’ उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि वह अब अपने परिवार के लिए भी सुरक्षित महसूस करती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी से कह रही हूं कि इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। यह किसी अन्य इंजेक्शन की तरह ही है और मैं सभी से इसे लगवाने की अपील करती हूं।’’

मोदी ने उन्हें याद दिलाया कि कुछ लोगों को आशंका है। इस पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने कहा कि डर को दूर करना चाहिए और टीका लेना चाहिए...‘‘डर को हटाना है, टीका लगवाना है।’’

उसी अस्पताल की स्वास्थ्य कार्यकर्ता रानी कुंवर ने कहा, ‘‘लोग हमें टीके के लिए आशीर्वाद देते हैं जो हमें आपकी वजह से 10 महीने के भीतर मिला।’’

डीडीयू अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वी. शुक्ला से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने चिकित्सा बिरादरी के काम की प्रशंसा ‘‘कोरोना योद्धा’’ के तौर पर की। उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान, सुरक्षित पेयजल और शौचालय जैसी परियोजनाएं वायरस से निपटने के दौरान ‘‘अप्रत्यक्ष लाभ’’ देती हैं।

डॉक्टर ने कहा कि हर टीके के संभावित दुष्प्रभाव होते हैं। शुक्ला ने कहा, ‘‘भारत के एक विकासशील देश होने के बावजूद टीका विकसित करने में हम विकसित देशों से आगे निकले।’’

मोदी ने सुझाव दिया कि अग्रिम मोर्चे के कर्मियों के टीकाकरण को लेकर अस्पतालों और अन्य संस्थानों के बीच प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए ताकि अगला चरण जल्द शुरू हो सके।

वरिष्ठ लैब तकनीशियन आर सी राय ने कहा कि उनकी टीम आत्मविश्वास से भरी हुई है और उन्हें देखकर टीके को लेकर अन्य का भरोसा बढ़ा है।

एक अन्य चिकित्साकर्मी ने कहा कि उन्होंने 16 जनवरी को अकेले ही 87 लोगों को टीका दिया और खुद भी टीका लगवाया।

मोदी ने 30 मिनट की बातचीत में कहा, ‘‘वास्तव में, कोरोना योद्धाओं ने शानदार काम किया है।’’

उन्होंने पहले कहा था कि संवाद का उद्देश्य टीकाकरण अभियान पर प्रतिक्रिया प्राप्त करना है जिसे दुनिया का सबसे बड़ा अभियान बताया जा रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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