मोरबी पुल दुर्घटना: 'ईश्वर की इच्छा' से टूटा पुल, कोर्ट में आरोपी ने दिया बयान

By रुस्तम राणा | Published: November 2, 2022 02:05 PM2022-11-02T14:05:43+5:302022-11-02T14:05:43+5:30

पुल के रखरखाव के लिए जिम्मेदार कंपनी ओरेवा के प्रबंधकों में से एक दीपक पारेख ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल जज एमजे खान की अदालत से कहा कि “यह भगवान की इच्छा थी कि ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी।"

Morbi bridge cables worn out, cops tell court; accused calls mishap ‘will of god’ | मोरबी पुल दुर्घटना: 'ईश्वर की इच्छा' से टूटा पुल, कोर्ट में आरोपी ने दिया बयान

मोरबी पुल दुर्घटना: 'ईश्वर की इच्छा' से टूटा पुल, कोर्ट में आरोपी ने दिया बयान

Highlightsआरोपी ने अदालत से कहा कि यह भगवान की इच्छा थी कि ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटीसरकारी वकील ने कहा- मरम्मत के दौरान पुल में लगी केवल खराब हो चुकी थींरविवार शाम को हुआ था यह खौफनाक हादसा, 130 से ज्यादा लोगों की हुई मौत

अहमदाबाद: मोरबी पुल हादसे को लेकर एक आरोपी ने कोर्ट को बताया है कि हादसा ईश्वर की इच्छा के कारण हुआ। रविवार को मोरबी में ढहे पुल के रखरखाव के लिए जिम्मेदार ओरेवा कंपनी के प्रबंधकों में से एक दीपक पारेख ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल जज एमजे खान की अदालत से कहा कि “यह भगवान की इच्छा थी कि ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी।"

हालांकि, सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि मरम्मत के दौरान पुल में लगी केवल खराब हो चुकी थीं, जंग के कारण वे गल गई थीं जिसके बावजूद उन्हें नहीं बदला गया। वकील ने कहा कि ढहने का असली कारण एल्युमीनियम का आधार था जिसे लकड़ी के आधार से बदल दिया गया था जो पहले की तुलना में हल्की थी।

इस बीच, मोरबी और राजकोट बार एसोसिएशन ने मोरबी पुल ढहने के मामले में आरोपियों का प्रतिनिधित्व करने के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है। मार्च 2022 में मोरबी नगर निगम और अजंता ओरेवा कंपनी के बीच पुल के संचालन और रखरखाव के लिए 15 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे और यह 2037 तक वैध था।

यह कंपनी मूल रूप से घड़ी बनाती है। साल 1971 में एक भारतीय बिजनेस टाइकून, ओधवजी राघवजी पटेल द्वारा 'अजंता क्वार्ट्ज' के रूप में स्थापित किया गया था जो अब 'दुनिया की सबसे बड़ी घड़ी निर्माता कंपनी' के रूप में जानी जाती है। 

मोरबी पुल, जिसे 'झूलता पुल' कहा जाता है, ब्रिटिश काल के दौरान मच्छू नदी पर एक सदी से भी अधिक समय पहले बनाया गया था। घटना के चार दिन पहले गुजराती नव वर्ष पर केबल सस्पेंशन ब्रिज को जनता के लिए फिर से खोल दिया गया था। इस खौफनाक हादसे में 130 से ज्यादा लोगों की मौतें हो गईं। घटना की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है।

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