मानसून सत्र 2018 के सम्भावित बिल, जिन पर है ठोस परिणाम की उम्मीद
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 25, 2018 06:21 PM2018-06-25T18:21:01+5:302018-06-25T18:21:01+5:30
हर साल की तरह कुछ अच्छे बिल पारित होने की उम्मीद में सबकी निगाहें आगामी सत्र पर टिकी हुई । ऐसा माना जा रहा है कि वर्तमान सरकार ऐसा कोई बिल का प्रस्ताव रखने से बचेगी जिस पर लम्बी बहस हो ।
नई दिल्ली, 25 जून: 18 जुलाई 2018 से इस साल का मानसून सत्र शुरू हो रहा है । अट्ठारह दिनों के इस मानसून सत्र में तमाम ऐसे बिल हैं जिन पर चर्चा होना बाकी है । पिछले सत्र की बात की जाए तो सरकारी बिलों की चर्चा पर बेहद दोनों ही सदनों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा । राज्य सभा में सरकारी बिल पर मात्र तीन मिनट चर्चा हुई और वहीँ लोकसभा में चौदह मिनट। इसके अलावा लगभग 200 घंटो से अधिक का समय केवल शोरगुल और आरोप प्रत्यारोप में बीते गए ।
हर साल की तरह कुछ अच्छे बिल पारित होने की उम्मीद में सबकी निगाहें आगामी सत्र पर टिकी हुई । ऐसा माना जा रहा है कि वर्तमान सरकार ऐसा कोई बिल का प्रस्ताव रखने से बचेगी जिस पर लम्बी बहस हो ।
संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से, तीन तलाक सहित कई विधेयकों के पास होने की उम्मीद
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री सी. आर. चौधरी के अनुसार ‘उपभोक्ता संरक्षण नियम 2018’ से जुड़े एक बिल पर बात हो सकती है । जो कि ‘उपभोक्ता संरक्षण नियम 1986’ की जगह ले सकता है और नए बिल में ‘ई – कोमर्स’ से जुड़ी तमाम चीज़ें शामिल होंगी । इसके अलावा Indian Arbitration Counci। Act 2017 से जुड़े एक बिल पर भी चर्चा हो सकती है जिसमें भारत को मध्यस्तथा (arbitratio) का वैश्विक केंद्र बनाने पर जोर होगा ।
इसके आलावा Specific re। ief (amendment) Act 2018 पर भी उच्च सदन में चर्चा हो सकती है । मूल रूप से आर्थिक अनुदान के सहारे आर्थिक सुधार करने वाला यह बिल के आने से न्यायालय के कुछ अधिकारों पर भी प्रभाव पडेगा ।
लेकिन यह तो संभावित बिल हैं जिन पर चर्चा हो सकती है । इस सत्र में यह बहुत ज़रूरी है कि बिलों की चर्चा में अधिक से अधिक समय दिया जाए क्योंकि बीते सत्र में सरकारी बिलों की चर्चा के दौरान शोरगुल और आरोप – प्रत्यारोप में बहुत समय बेकार हुआ था ।
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