16 दिन पहले मुंबई में मानसून?, 75 वर्षों में पहली बार, आईएमडी ने कहा- 1950 के बाद, आर्थिक राजधानी में पानी ही पानी, देखें वीडियो
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 26, 2025 18:56 IST2025-05-26T18:55:53+5:302025-05-26T18:56:39+5:30
2022 में 11 जून, 2021 में 9 जून, 2020 में 14 जून और 2019 में 25 जून को पहुंचा था। 2020 में इसका आगमन 14 जून को हुआ था, जबकि 2021 में यह 9 जून को पहुंचा था।

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मुंबईः भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अपनी सामान्य तारीख से 16 दिन पहले मुंबई पहुंच गया है और 1950 के बाद से पहली बार इसका इतनी जल्दी आगमन हुआ है। मानसून ने शनिवार को केरल में दस्तक दी, जो 2009 के बाद से भारत की मुख्य भूमि पर इतनी जल्दी इसका पहली बार आगमन है। उस साल यह 23 मई को इस राज्य में पहुंचा था। दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर एक जून तक केरल में प्रवेश करता है, 11 जून तक मुंबई पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है।
Video: Mumbai metro station flooded as water gushes inside amid heavy rain. pic.twitter.com/NGvD9YFBCL
— Lokmat Times (@lokmattimeseng) May 26, 2025
यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से लौटना शुरू कर देता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से लौट जाता है। आईएमडी के मुंबई कार्यालय के अनुसार, 1950 से उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि मुंबई में मानसून का इतना शीघ्र पहली बार आगमन हुआ है। पिछले साल मानसून 25 जून को मुंबई पहुंचा था।
इससे पहले के वर्षों में, यह 2022 में 11 जून, 2021 में 9 जून, 2020 में 14 जून और 2019 में 25 जून को पहुंचा था। 2020 में इसका आगमन 14 जून को हुआ था, जबकि 2021 में यह 9 जून को पहुंचा था। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून के आगमन की तारीख का कुल मौसमी वर्षा से कोई सीधा संबंध नहीं है।
केरल या मुंबई में जल्दी या देर से आने वाले मानसून का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों में भी शीघ्र पहुंच जाएगा। यह बड़े पैमाने पर परिवर्तनशीलता और वैश्विक, क्षेत्रीय एवं स्थानीय विशेषताओं पर निर्भर करता है। अप्रैल में, आईएमडी ने 2025 के मानसून के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान किया था, जिसमें अल नीनो की स्थिति की संभावना को खारिज कर दिया गया था, जो भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से जुड़ी हुई है। आईएमडी ने कहा कि 96 प्रतिशत और 104 प्रतिशत के बीच बारिश को 'सामान्य' माना जाता है।
दीर्घावधि औसत के 90 प्रतिशत से कम वर्षा को 'कम' माना जाता है। 90 प्रतिशत से 95 प्रतिशत के बीच को 'सामान्य से कम', 105 प्रतिशत से 110 प्रतिशत के बीच को 'सामान्य से अधिक' तथा 110 प्रतिशत से अधिक को 'अधिक' वर्षा माना जाता है। भारत में 2024 में 934.8 मिलीमीटर बारिश हुई, जो औसत से 108 प्रतिशत अधिक है। 2023 में 820 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो औसत से 94.4 प्रतिशत अधिक है। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 925 मिमी, 2021 में 870 मिमी और 2020 में 958 मिमी बारिश हुई थी।