दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में मोनोक्लोनल थैरेपी की शुरुआत
By भाषा | Published: May 27, 2021 07:02 PM2021-05-27T19:02:20+5:302021-05-27T19:02:20+5:30
नयी दिल्ली, 27 मई कोविड-19 के कुछ रोगियों के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी के लिए दिल्ली के एक प्रमुख निजी अस्पताल को क्लीनिकल खुराकें मिल गयी हैं जिससे उनके अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 70 प्रतिशत कम हो जाती है। अस्पताल के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
इस पद्धति में मामूली से मध्यम स्तर के लक्षणों वाले रोगियों को एक खुराक में कासिरिविमैब और इमडेविमैब मिलाकर दी जाती है।
दक्षिण दिल्ली स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष अशोक सेठ ने कहा कि खुराक मिलने के बाद हमने बृहस्पतिवार से उपचार पद्धति शुरू कर दी है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमें अपने अस्पताल में खुराक मिल गयी हैं। वे हमें कल मिलीं और आज से हम अपने उन रोगियों को देना शुरू कर रहे हैं जो इसके तय मानदंडों में सही बैठते हैं।’’
सेठ ने कहा कि फोर्टिस को अभी दो खुराक मिली हैं जिनका इस्तेमाल चार रोगियों के लिए किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक खुराक दो रोगियों को दी जा सकती है। हालांकि चूंकि एक पैक में दो वायल होते हैं और दो रोगियों का इलाज किया जा सकता है, इसलिए डोज खुलने के बाद और इसे रोगी को देने के बाद बाकी दवा को 24 घंटे के अंदर दूसरे रोगी को देना होता है।’’
कोविड-19 से ग्रस्त 84 वर्षीय मोहब्बत सिंह को मंगलवार को गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी दी गयी थी और उसी दिन उन्हें घर भेज दिया गया। अस्पताल के अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी और कहा कि सिंह मेदांता में इस थैरेपी का लाभ प्राप्त करने वाले पहले रोगी थे।
अस्पताल के एक अधिकारी ने दावा किया था कि यह कोविड-19 रोगी के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी का दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का पहला मामला है।
सेठ ने कहा कि सिप्ला और स्विट्जरलैंड की रोशे ने एंटीबॉडी की यह दवा बाजार में उतारी है।
उन्होंने कहा, ‘‘कंपनी के एक पैक में कासिरीविमैब और इमडेविमैब की 1332-1332 मिलीग्राम मात्रा होती है। एक पैक में दो वायल होते हैं इसलिए दो रोगियों का इलाज किया जा सकता है। एक रोगी के लिए प्रत्येक वायल की लागत करीब 59,750 रुपये आती है।
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