नयी दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वीडियो श्रंखला की दूसरी कड़ी में फिर हमला बोलते हुये कहा कि मोदी ने सत्ता में आने के लिए एक नकली मजबूत छवि दिखा कर लोगों में यह भ्रम पैदा किया कि वह बहुत मज़बूत नेता हैं और समस्याओं का समाधान वही कर सकते हैं ,जो सच नहीं है।
चीन के मुद्दे पर राहुल ने अपनी बेबाक राय ज़ाहिर की और कहा यह साधारण सीमा विवाद नहीं। मेरी चिंता है कि चीनी आज हमारे इलाके में बैठे हैं। चीनी बगैर रणनीतिक सोच के, कोई कदम नहीं उठाता । उसने दिमाग में संसार का पहले नक्शा खींचा और उसे अपने हिसाब से आकार देने की कोशिश कर रहा हैं, उसी के तहत ग्वादर है, उसी में बेल्ट एंड रोड आता है। यह दरअसल इस धरती की पुनर्रचना करने का प्रयास है। इसलिए जब आप चीनियों के बारे में सोचें, आपको यह समझना होगा कि वह किस स्तर पर सोच रहे हैं। चाहे यह गलवान हो, डेमचोक हो, या फिर पैंगोंग झील, चीन का इरादा अपनी स्थिति को मजबूत करना है। वो हमारे हाइवे से परेशान हैं, जिसे वह ध्वस्त करना चाहता है क्योंकि उसका निशाना कश्मीर पर है। पाकिस्तान के साथ मिलकर कश्मीर में कुछ करने की योजना उसकी सोच में हैं। इसलिए मैं कहता हूँ कि यह साधारण सीमा विवाद भर नहीं है। यह सुनियोजित सीमा विवाद है, जिसका मकसद भारतीय प्रधानमंत्री पर दबाव बनाना है।
वे एक खास तरीके से दबाव बनाने के बारे में सोच रहे हैं। चीन उनकी छवि पर हमला कर रहा हैं। वे समझते हैं कि नरेन्द्र मोदी को प्रभावी राजनीतिज्ञ बनने के लिए, एक राजनीतिज्ञ के रूप में बने रहने के लिए उन्हें अपनी 56 इंच वाली छवि की रक्षा करना जरूरी होगा।
और यही वह असली जगह है, जहाँ चीन वार कर रहा है। वे मूलतः नरेंद्र मोदी को कह रहे हैं कि यदि आप वह नहीं करेंगे जो चीन चाहता है, तो वे नरेन्द्र मोदी की मजबूत नेता वाली छवि को वो ध्वस्त कर देंगे। अब प्रश्न उठता है, नरेन्द्र मोदी क्या प्रतिक्रिया देंगे? क्या वह उनका सामना करेंगे? क्या वह चुनौती स्वीकार करेंगे? और कहेंगे, बिल्कुल नहीं! मैं भारत का प्रधानमंत्री हूं, मैं अपनी छवि की चिंता नहीं करता। मैं तुम्हारा मुकाबला करुंगा या वो उनके सामने हथियार डाल देंगे?
राहुल ने कहा कि मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी दबाव में आ गए हैं। मुझे चिंता है कि आज चीनी हमारे इलाके में बैठे हैं और प्रधानमंत्री खुले आम कह रहे हैं कि वह नहीं बैठे। जिसका सीधा अर्थ है कि मोदी अपनी छवि को लेकर चिंतित हैं और अपनी छवि बचाने की कोशिश कर रहे हैं।और यदि वे चीनियों को यह समझने का मौका देते हैं कि छवि की चिंता में उन्हें चंगुल में लिया जा सकता है तो भारतीय प्रधानमंत्री भारत के लिए, किसी काम के नहीं रहेंगे