नई दिल्ली, 22 मार्च: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरूवार (22 मार्च) कहा कि बंदर हर दिन प्रजनन करते रहेंगे और वे आधिकारिक बैठकों का इंतजार नहीं करेंगे। अदालत ने इस मामले में स्थिति स्पष्ट नहीं करने पर केंद्र को फटकार लगायी। उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानीऔर देश के दूसरे हिस्सों में बंदरों की बढ़ती आबादी पर रोक लगाने के लिए, जिससे लोगों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है, उन की नसबंदी की खातिर टीके आयात करने को लेकर तैयार होने या नहीं होने के बारे में साफ जवाब नहीं देने पर केन्द्र सरकार को फटकार लगायी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि बंदरों की समस्या से निपटने के लिए2001 में जनहित याचिका दायर की गयी थी लेकिन17 साल बाद भी केंद्र ने अब तक यह फैसला नहीं लिया है कि मुद्दे से निपटने की जिम्मेदारी किस मंत्रालय की है।
इससे पहले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर आचार्य ने अदालत से कहा कि टीके के आयात के मुद्दे पर सरकार से निर्देश लेने के लिए उन्हें और समय चाहिए क्योंकि इसपर‘‘ रातों रात’’ फैसला नहीं लिया जा सकता।
इसके बाद पीठ ने कड़ी टिप्पणी की। उसने कहा, ‘‘ हम चर्चा या बैठक नहीं बल्कि कार्रवाई चाहते हैं। बंदर आपकी बैठकों का इंतजार करते नहीं रहेंगे। वे हर दिन प्रजनन कर रहे हैं। यहहर घंटे की समस्या है और इसमें देरी नहीं की जानी चाहिए। लोग असोला अभयारण्य के पास पूरे के पूरे मोहल्ले खाली कर रहे हैं जहां उनका पुनर्वास किया गया था।’’
पीठ ने कहा, ‘‘ चर्चाएं और बैठक अब खत्म हो जानी चाहिए थीं। अगर आप ऐसे ही चलते रहें तो मामला और18 साल तक चलता रहेगा।’’ अदालत ने साथ ही कहा कि वह‘‘ सरकार से उसका काम कराने में निराशाजनक रूप से नाकाम हो रही है।’’