नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भारत के मुख्य जांच अधिकारी (सीआईओ) नाम से एक नया पद बनाने पर विचार कर रही है। यह पद भी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के समान होगा, जो आंतरिक और आर्थिक अपराध के संबंधस में कमांड सेंटर की तरह काम करेगा और देश की शीर्ष केंद्रीय जांच एजेंसी इसके मातहत काम करेंगी।
समाचार वेबसाइट द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार उच्चतम स्तर पर चर्चा के अनुसार केंद्रीय जांच एजेंसियों में प्रमुख केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के चीफ सीआईओ को रिपोर्ट करेंगे और यह पूरी कार्य प्रणाली ठी उसी तरह से होगी, जैसे भारतीय सेना की तीनों इकाई सीडीएस को रिपोर्ट करती हैं या फिर आईबी और रॉ जैसी खुफिया एजेंसियां सीधे एनएसए को रिपोर्ट करती हैं।
खबरों के अनुसार मोदी सरकार का विचार है कि ईडी और सीबीआई की जांच क्षेत्र कई बार आपस में मिल जाते हैं। इसमें ईडी का मुख्य काम वित्तीय धोखाधड़ी पर शिकंजा कसना है। ईडी के दायरे में मुख्यतः मनी लॉन्ड्रिंग और फेमा उल्लंघन से संबंधित शिकायतों का निपटारा होता है।
वही अगर हम सीबीआई की बात करें तो वह भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराधों सहित अन्य मामलों को भी देखती है। इस कारण से मोदी सरकार का मानना है कि दोनों जांच एजेंसियों के लिए एक कमांड सेंटर होने से दोनों आसानी होगी और सीआईओ की अगुवाई में दोनों एजेंसियों के बीच काम का बेहतर तालमेल बनेगा।
बताया जा रहा है कि सीआईओ का नया पद भारत सरकार के सचिव रैंक का होगा। कयास लग रहे हैं कि ईडी प्रमुख पद से हटने पर संजय मिश्रा को पहला सीआईओ नियुक्त किया जा सकता है। मिश्रा को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर तक ईडी प्रमुख के रूप में बने रहने की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सेवानिवृत्ति के बाद केंद्र सरकार द्वारा उन्हें दिए गए एक-एक साल के दो एक्सटेंशन को अवैध करार दिया था।
इस बात की संभावना है कि सरकार सीआईओ का पद 15 सितंबर को या उससे पहले सृजित कर सकती है ताकि ईडी चीफ मिश्रा के कार्यालय छोड़ने से उन्हें नवीन तैनाती दी जा सके। इसके साथ यह भी कहा जा रहा है कि ईडी केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत काम करना जारी रखेगा वहीं सीबीआई डीओपीटी के तहत काम करती रहेगी। हालांकि कमाड सेंटर के तौर पर काम करने वाले सीआईओ दोनों एजेंसियों के कार्यों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को करेगा।