मोदी सरकार का बड़ा फैसला, रेलवे की 8 सेवाओं को मिलाकर होगा IRMS का गठन
By स्वाति सिंह | Published: December 25, 2019 12:43 PM2019-12-25T12:43:21+5:302019-12-25T12:43:21+5:30
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन को मंगलवार को मंजूरी दे दी जिसमें अब आठ की जगह अध्यक्ष सहित पांच सदस्य होंगे। इसके साथ ही रेलवे के विभिन्न संवर्गों का विलय एकल रेलवे प्रबंधन प्रणाली में करने को भी स्वीकृति दे दी गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बरसों पुराने रेलवे में काम करने के अंदाज में बदलाव को मंजूरी दे दी। बैठक के बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने संवाददाताओं को बताया कि रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन एक ऐतिहासिक फैसला है। उन्होंने कहा कि पुनगर्ठित रेलवे बोर्ड विभागों की जटिलताओं से राहत दिलाएगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें किसी की वरीयता से समझौता नहीं होगा। इसके तहत रेलवे बोर्ड में अब सिर्फ पांच सदस्य होंगे। साथ ही अलग-अलग 8 काडरों को मिलाकर एक काडर बनाया जाएगा। जिसका नाम इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस होगा। इस नए बोर्ड के पांच मेंबर में चेयरपर्सन भी शामिल होंगे। चेयरपर्सन सीईओ की तरह काम करेंगे। इसमें कुछ स्वतंत्र सदस्य भी होंगे। मालूम हो कि पहले बोर्ड में केवल 8 मेंबर होते थे।
इस योजना के अनुसार रेलवे मैनेजमेंट सर्विस के तहत सिस्टम एकीकृत होकर काम करेगा। साथ ही नए बोर्ड में ह्यूमेन रिसोर्सेज, ऑपरेशन, बिजनेस डिवेलपमेंट, फाइनैंस और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े मेंबर होंगे। बीते दिनों सरकार द्वारा गठित एक कमिटी ने रेलवे बोर्ड में बदलाव का प्रस्ताव रखा था। ख़बरों कि मानें तो सरकार का यह मानना है कि अलग-अलग बोर्ड की शाखा रहने से बेहतर तालमेल नहीं हो पाता है, जिसके चलते रेलवे में योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधाएं आती रही हैं। फिलहाल रेलवे बोर्ड में 8 सदस्य होते हैं जो अपनी-अपनी सर्विस का प्रतिनिधित्व करते हैं।
बता दें कि मौजूदा स्ट्रक्चर 1905 से ही चला आ रहा है। लेकिन अब नए सिस्टम में चैयरमैन सीईओ की तरह काम करेगा और सभी तरह के मामलों में वह फाइनल अथॉरिटी होगा। चेयरमैन के अलावा इसमें 4 सदस्य और होंगे जो फाइनैंस, ऑपरेशंस ऐंड बिजनस डिवेलपमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और रोलिंग स्टॉक पोर्टफोलियो को देखेंगे। इसके साथ ही ह्यूमन रिसोर्स का डायरेक्टर जनरल होगा वह चेयरमैन और सीईओ को रिपोर्ट करेगा। यही नहीं, इस बोर्ड में कुछ इंडिपेंडेंट मेंबर भी जो फाइनैंस, इंडस्ट्री और मैनेजमेंट के क्षेत्र के हैं वो भी शामिल होंगे। यह कहना गलत नहीं होगा कि अब रेलवे बोर्ड कॉर्पोरेट कंपनी के बोर्ड की तरह ही होगा।
बताया जा रहा है कि मौजूदा रेलवे सिस्टम के चलते तमाम महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट्स में देरी होती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है ट्रेन 18, जहां इलेक्ट्रिकल और मकैनिकल काडर के बीच खींचतान की वजह से प्रॉजेक्ट लॉन्च होने में देरी हुई। प्रकाश टंडन समिति (1994), राकेश मोहन समिति (2001), सैम पित्रोदा समिति (2012) और बिबेक देबरॉय समिति (2015) सहित रेलवे में सुधार के लिए विभिन्न पैनलों ने सेवाओं के एकीकरण की सिफारिश की थी। गौरतलब है कि भारतीय रेलवे पर बनी विवेक देबराय समिति ने 2015 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन की सिफारिश की थी ।