क्या खाऊंगा कहॉं सोऊंगा ये सोचना पड़ता था, रो कर सो जाता था, भावुक हुए मिथुन; कहा- मेरे रंग को लेकर कई सालों तक मेरा...

By अनिल शर्मा | Published: November 14, 2022 08:21 AM2022-11-14T08:21:28+5:302022-11-14T08:34:21+5:30

बकौल मिथुन, 'मैं नहीं चाहता कि मेरी बॉयोपिक कभी बने! मेरी कहानी कभी किसी को प्रेरित नहीं करेगी, यह उन्हें (मानसिक रूप से) तोड़ देगी और लोगों को उनके सपनों को हासिल करने से हतोत्साहित करेगी। मैं नहीं चाहता कि ऐसा हो!'

Mithun Chakraborty became emotional I had to think what I would eat where I would sleep called out for color | क्या खाऊंगा कहॉं सोऊंगा ये सोचना पड़ता था, रो कर सो जाता था, भावुक हुए मिथुन; कहा- मेरे रंग को लेकर कई सालों तक मेरा...

क्या खाऊंगा कहॉं सोऊंगा ये सोचना पड़ता था, रो कर सो जाता था, भावुक हुए मिथुन; कहा- मेरे रंग को लेकर कई सालों तक मेरा...

Highlightsमिथुन ने कहा, मैंने इस इंडस्ट्री में खुद को साबित करने के लिए काफी संघर्ष किया है।सा रे गा मा पा के मंच पर मिथुन ने कहा कि ''मेरी त्वचा के रंग के कारण कई वर्षों तक मेरा अपमान किया गया। 

मुंबईः 70 के दशक में फिल्मों में कदम रखनेवाले मशहूर अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती आज भले ही किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं लेकिन कभी ऐसा वक्त भी रहा जब उन्हें उनके त्वचा के रंग को लेकर उनका काफी अनादर किया गया, उन्हें काला बुलाया गया। इन दिनों वह अपनी आगामी फिल्म बाप ऑफ ऑल फिल्म को लेकर चर्चा में हैं जिसमें सनी देओल, जैकी श्रॉफ, संजय दत्त भी नजर आएंगे।

इस फिल्म के बहाने मिथुन ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कई भावुक बातें कहीं। मिथुन ने कहा कि उन्होंने वह दौर भी देखा जब सोचना पड़ता था कि उनका अगला भोजन क्या होगा और कहाँ सोने जाएंगे। अभिनेता ने कहा कि बहुत दिनों तक मैं फुटपाथ पर ही सोया हूँ। बकौल मिथुन- अक्सर मैं खुद रोते हुए सो जाता था। सिंगिंग रियलिटी शो सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स के मंच पर अपने कठिन समय को याद करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि "मैं कभी नहीं चाहता कि जीवन में मैंने जो कुछ किया है, उससे कोई भी गुजरे। हर किसी ने मुश्किल दिनों में संघर्ष किया है और संघर्ष देखा है, लेकिन मुझे हमेशा मेरी त्वचा के रंग के लिए बुलाया जाता था।

मिथुन ने शो पर कहा, ''मेरी त्वचा के रंग के कारण कई वर्षों तक मेरा अपमान किया गया। और मैंने ऐसे दिन देखे हैं जब मुझे खाली पेट सोना पड़ता था। और मैं खुद सोने के लिए रोता था। वास्तव में, ऐसे दिन थे जब मुझे सोचना पड़ता था कि मेरा अगला भोजन क्या होगा, और मैं कहाँ सोने जाऊँगा। मैं भी बहुत दिनों से फुटपाथ पर सोया हूँ।"

अपने संघर्ष को याद करते हुए मिथुन ने कहा कि यही कारण है कि मैं नहीं चाहता कि कोई मेरी बॉयोपिक बनाए। बकौल मिथुन “और यही एकमात्र कारण है कि मैं नहीं चाहता कि मेरी बॉयोपिक कभी बने! मेरी कहानी कभी किसी को प्रेरित नहीं करेगी, यह उन्हें (मानसिक रूप से) तोड़ देगी और लोगों को उनके सपनों को हासिल करने से हतोत्साहित करेगी। मैं नहीं चाहता कि ऐसा हो! अगर मैं कर सकता हूं तो कोई और भी कर सकता है। मैंने इस इंडस्ट्री में खुद को साबित करने के लिए काफी संघर्ष किया है। मैं इसलिए महान नहीं हूं क्योंकि मैंने हिट फिल्में दी हैं। मैं एक किंवदंती हूं क्योंकि मैंने अपने जीवन के सभी दर्द और संघर्षों को पार कर लिया है।

मिथुन ने 1976 में मृगया के साथ अपनी फिल्म की शुरुआत की जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। उन्होंने 80 और 90 के दशक में डिस्को डांसर, वारदत, बॉक्सर और अग्निपथ जैसी कई व्यावसायिक रूप से सफल फिल्मों में अभिनय किया। वह 2000 के दशक में चरित्र भूमिकाओं में चले गए और आखिरी बार इस साल की स्लीपर हिट द कश्मीर फाइल्स में देखे गए।

Web Title: Mithun Chakraborty became emotional I had to think what I would eat where I would sleep called out for color

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