शांति की बयार का लुत्फ उठा रहे प्रवासी पक्षी, कश्मीर के वेटलैंड्स में 4 साल में आए 40 लाख

By सुरेश एस डुग्गर | Published: February 10, 2023 01:43 PM2023-02-10T13:43:53+5:302023-02-10T13:45:23+5:30

अगर कश्मीर संभाग की वाइल्ड लाइफ वेटलेंड की वार्डन इफशान दिवान पर विश्वास करें तो पिछले साल इन प्रवासी पक्षियों ने एक नया रिकॉर्ड बनाया था।

Migratory birds enjoying the breeze of peace 40 lakhs came to the wetlands of Kashmir in 4 years | शांति की बयार का लुत्फ उठा रहे प्रवासी पक्षी, कश्मीर के वेटलैंड्स में 4 साल में आए 40 लाख

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsदिवान के मुताबिक, कश्मीर में 70 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आते रहे हैं।इस बार भी इतनी ही प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आपको दिख जाएंगे।

जम्मू: कश्मीर में फैली शांति की बयार का लुत्फ सिर्फ टूरिस्ट ही नहीं बल्कि वे प्रवासी पक्षी भी उठा रहे हैं जो दिन प्रतिदिन नया रिकॉर्ड कायम कर रहे हैं। कश्मीर में पिछले चार सालों में सुदूर देशों से आने वाले प्रवासी पक्षियों ने 40 लाख का आंकड़ा पार कर लिया है। इस साल आने वालों की गिनती होनी बाकी है जबकि जम्मू संभाग के वेटलैंड्स में आने वालों की कभी गिनती ही नहीं की गई है।

अगर कश्मीर संभाग की वाइल्ड लाइफ वेटलेंड की वार्डन इफशान दिवान पर विश्वास करें तो पिछले साल इन प्रवासी पक्षियों ने एक नया रिकॉर्ड बनाया था। 12 लाख से अधिक ने कश्मीर में दस्तक दी थी। हालांकि वे मानती थीं कि कश्मीर के वेटलैंड्स पर अतिक्रमण से लेकर अवैध शिकार तक के खतरे तलवार की तरह लटक रहे हैं पर इसके बावजूद प्रवासी पक्षी कश्मीर से मुलाकत के वायदे को पूरा करते हैं।

वाइल्ड लाइफ विभाग के आंकड़ों पर अगर एक नजर डालें तो पता चलता है कि इन प्रवासी पक्षियों को कश्मीर से कितना प्यार है। पिछले साल 12 लाख ने दस्तक दी थी तो वर्ष 2019 में 9 लाख ही आए थे। हालांकि वर्ष 2020 में इनमें कमी आई तो यह संख्या लुढ़क कर 8 लाख पहुंच गई थी पर फिर 2021 में यह आंकड़ा 11 लाख को पार कर गया है।

दिवान के मुताबिक, कश्मीर में 70 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आते रहे हैं। इस बार भी इतनी ही प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आपको दिख जाएंगे। हालांकि पिछले साल 15 फरवरी के बाद इन पक्षियों ने वापसी की परवाज आरंभ इसलिए कर दी थी क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसम का मिजाज गर्माने लगा था।

इतना जरूर था कि विभाग इस बार उस समय खुशी से फूला नहीं समाया था जब उसने 84 सालों के बाद वुल्लर झील के किनारे पर एक विशेष प्रजाति की बत्तख को पाया था। जानकारी के लिए कश्मीर में साइबेरिया, यूरोप और सेंट्रल एशिया से भी प्रवासी पक्षी आते हैं।

वार्डन दिवान की चिंता कश्मीर के वेटलैंड्स के अतिक्रमण, उनमें फैलते प्रदूषण और अवैध शिकार के प्रति भी थी। हालांकि उनका कहना था कि उनका विभाग इसके प्रति सजग है पर कानून की खामियों और टास्क फोर्स में संख्याबल की कमी के चलते उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

Web Title: Migratory birds enjoying the breeze of peace 40 lakhs came to the wetlands of Kashmir in 4 years

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