नई दिल्ली, 13 अक्टूबरः भारत में #MeToo कैम्पेन ज़ोर-शोर से चल रहा है। बॉलीवुड, मीडिया और राजनीतिक क्षेत्र से जुड़ी कामकाजी महिलाओं ने अपने सहकर्मियों अथवा बॉस के द्वारा पूर्व में यौन उत्पीड़न किए जाने की शिकायतें सार्वजनिक की हैं। बॉलीवुड में नाना पाटेकर से शुरू हुआ सिलसिला राजनीति में केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर तक पहुंच चुका है। अपने खिलाफ हुई ज्यादतियों को उजागर कर रही महिलाओं को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। लेकिन इसके साथ ही कई पुरुषों ने अपने खिलाफ यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायत की बात भी की है। उनका कहना है कि व्यक्तिगत खुन्नस में उन्हें फंसाया गया है। अगर यौन उत्पीड़न के झूठे मामले में कोई पुरुष फंसता है तो उसे क्या करना चाहिए? जान लीजिए कुछ कानूनी विकल्प...
- अगर किसी पुरुष के खिलाफ यौन उत्पीड़न का झूठा आरोप लगता है तो उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है। कानून के मुताबिक बिना जांच पड़ताल के कोई सजा नहीं सुनाई जा सकती।
- जांच में महिला को अपने आरोपों के संबंध में सबूत पेश करने होंगे। अगर केस झूठा है तो महिला सबूत नहीं पेश कर सकती है। ऐसी स्थिति में सजा का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।
- किसी भी स्थिति में यौन उत्पीड़न का आरोप लगा रही महिला का बयान ही काफी नहीं होगा। उसे आरोप और घटना के संबंध में ठोस सबूत पेश करने होंगे।
- आरोप लगने के बाद पुरुष की सामाजिक प्रतिष्ठा में क्षति पहुंच सकते हैं। इसके लिए मानहानि केस करने के कई कानूनी विकल्प हैं। पहला यह कि वह क्रिमिनल या सिविल केस में से कोई एक केस कर सकता है। दूसरा यह कि वह क्रिमिनल और सिविल दोनों ही केस कर सकता है।
- मानहानि के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद अधिकतम दो साल कैद की सजा का प्रावधान है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित विशाखा दिशानिर्देश एक सुरक्षित कामकाजी माहौल को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। पुरुषों को भी इन गाइडलाइन्स को अच्छी तरीके से समझ लेना चाहिए ताकि जाने-अनजाने वो किसी महिला का यौन उत्पीड़न ना करें।
''विशाखा गाइडलाइन्स'' के तहत क्या-क्या मसले आ सकते हैं...
1- शारीरिक संपर्क को गलत तरीके से बढ़ाने की कोशिश करना
2- सेक्सुअल फेवर के लिए डिमांड करना या बार-बार उसके लिए मैसेज या अप्रत्यक्ष रूप से बोलकर अनुरोध करना।
3- आपके सेक्सुअलटी को लेकर कोई टिप्पणी करता हो या फिर कोई ऐसी बात बोलता हो, जिसको सुनकर आपको असहज लगता हो।
4- आपको कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष से अश्लील चीजें दिखाने की कोशिश करें।
5- ऑफिस में विशाखा समिति के जिम्मेदार व्यक्तियों का कर्तव्य होगा कि यौन उत्पीड़न के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए।
6- सुप्रीम कोर्ट के मुताबक, जैसे ही किसी दफ्तर में महिला इस तरह की शिकायत करती है तो उसपर जांच करनी चाहिए।
7- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायत समिति की अध्यक्षता एक महिला द्वारा की जानी चाहिए और इसके आधे सदस्य महिला नहीं होनी चाहिए।