गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सोमवार को राज्यसभा में पेश किए संविधान के अनुच्छेद 370 पर जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने भारतीय लोकतंत्र में सबसे काला दिन बताया है।
महबूबा मुफ़्ती ने लिखा 'आज भारतीय लोकतंत्र में सबसे काला दिन है। 1947 में दो राष्ट्र सिद्धांत को खारिज करने और भारत के साथ संरेखित करने के जम्मू और कश्मीर नेतृत्व के निर्णय ने पीछे छोड़ दिया गया है। भारत सरकार की धारा 370 को रद्द करने का एकतरफा निर्णय गैरकानूनी और असंवैधानिक है जो भारत को जम्मू-कश्मीर में एक व्यावसायिक शक्ति बना देगा।'
उन्होंने लिखा 'इसके परिणाम भयावह होंगे। भारत सरकार के इरादे स्पष्ट हैं। वे यहां के लोगों को डरा कर जम्मू-कश्मीर पर कब्ज़ा चाहते हैं। भारत अपने वादों को निभाने में कश्मीर को विफल कर चुका है।'
महबूबा मुफ़्ती ने आगे लिखा 'हमारे जैसे लोग जिन्होंने संसद में विश्वास रखा उन्हें और लोकतंत्र के मंदिर को धोखा दिया गया है। जम्मू-कश्मीर में उन तत्वों को जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र के तहत संविधान और मांगे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इससे अलगाववादी कश्मीरियों का अहसास खत्म हो जाएगा।'
उन्होंने लिखा 'पहले से ही घर में गिरफ्तारी और आगंतुकों को आने अनुमति नहीं है। यह निश्चित नहीं है कि मैं कब तक बात कर पाउंगी। क्या यह वह भारत है जिसके प्रति हम आग्रही हैं?
गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में एक संकल्प पेश किया जिसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे । गृह मंत्री ने कहा, राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। ' इससे पहले सोमवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक घंटे लंबी बैठक चली। समझा जाता है कि इस बैठक में शीर्ष नेतृत्व ने जम्मू-कश्मीर से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।