मसूद अजहर का ब्लैकलिस्ट होना कामयाबी नहीं: असदुद्दीन ओवैसी
By स्वाति सिंह | Published: May 2, 2019 06:44 PM2019-05-02T18:44:28+5:302019-05-02T18:44:28+5:30
पाकिस्तान में सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आखिरकार बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार कहा है कि मसूद अजहर का ब्लैकलिस्ट होना अभी कोई कामयाबी नहीं है। उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चीन से आपने क्या समझौता किया है? 2008 में हाफिज सईद को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया, लेकिन क्या वो पब्लिक मीटिंग नहीं करता? क्या उसकी पार्टी चुनाव नहीं लड़ी? यकीनन ब्लैकलिस्ट हुआ है मगर इसको आपक दावा कर रहे हैं कि बहुत बड़ी कामयाबी है, लेकिन अभी यह कामयाबी नहीं है।
बता दें कि पाकिस्तान में सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आखिरकार बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया। अजहर का आतंकवादी समूह 2000 में अस्तित्व में आया था। उसने भारत में पुलवामा आतंकवादी हमले सहित कई आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली है।
A Owaisi:China se aapne kya compromise kiya?2008 mein Hafiz Saeed ko blacklist kiya gaya, kya vo public meeting nahi karta? Kya uski party election nahi ladi? Yakeenan blacklist hua hai magar isko agar aap claim kar rahe hain bhot badi kamyabi hai, ye kamyabi nahi hai abhi. pic.twitter.com/7XtQekkvk4
— ANI (@ANI) May 2, 2019
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर किए हमले की जिम्मेदारी भी जैश ने ली थी, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।
इसके बाद से ही भारत लगातार मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की कोशिश कर रहा था। अब 75 दिन बाद उसे कामयाबी मिल गई है। मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा समिति के सदस्य देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस लगातार कोशिश कर रहे थे, लेकिन बार-बार चीन इस पर वीटो लगा दे रहा था।
चीन अभी तक चार बार वीटो लगा चुका था, लेकिन पांचवीं बार मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर वह राजी हो गया है।
90 के दशक से ही मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर में एक्टिव रहा
फिर चाहे वह कंधार कांड हो या फिर अब पुलवामा में हुआ बड़ा आतंकी हमला। दरअसल, 90 के दशक से ही मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर में एक्टिव रहा है। 1994 में उसे श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था. मगर, कंधार कांड के बाद भारत सरकार को उसे रिहा करना पड़ा था। उसी के बाद से वह भारत के लिए चिंता का विषय बन गया।
भारत से रिहा होने के बाद मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद नाम का संगठन बनाया, जिसने अभी तक हिंदुस्तान में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है।
सभी बड़े हमले में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ
भारत में किन हमलों के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ। 2001 में संसद पर हमला, 2016 में पठानकोट हमला, 2018 में पठानकोट हमला और 2019 में पुलवामा आतंकी हमला। ये तो वो आतंकी हमले हैं, जिनका ध्यान पूरी दुनिया की तरफ गया, लेकिन इसके अलावा भी कश्मीर में रोजाना जो छोटे आतंकी हमले होते हैं या सेना के साथ मुठभेड़ होती हैं। उसमें भी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शामिल रहते हैं।
पाकिस्तानी सरंक्षण में जैश-ए-मोहम्मद का मकसद केवल कश्मीर को भारत से अलग करना है। इसकी स्थापना मसूद अजहर ने मार्च 2000 में की थी। भारत में हुए कई आतंकी हमलों के लिए ज़िम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद को पाकिस्तानी सरकार ने दिखावे के लिए जनवरी 2002 में बैन कर दिया था।
लेकिन इसका सरगना मसूद अजहर इतना शातिर है कि उसने जैश-ए-मुहम्मद का नाम बदलकर 'ख़ुद्दाम-उल-इस्लाम' कर दिया था।
मसूद अजहर का जन्म बहावलपुर, पाकिस्तान में 1968 को हुआ
मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर का जन्म बहावलपुर, पाकिस्तान में 10 जुलाई 1968 को हुआ था। उसके 9 अन्य भाई-बहन थे। कुछ एजेंसियां उसके जन्म की तारीख 7 अगस्त, 1968 बताती हैं। अजहर का पिता अल्लाह बख्श शब्बीर एक सरकारी स्कूल का प्रधानाध्यापक था।
उसका परिवार डेयरी और पॉल्ट्री के कारोबार से जुड़ा था। इस आतंकी ने बानुरी नगर, कराची के जामिया उलूम उल इस्लामिया नामक मदरसे से तालीमा हासिल की और वहीं उसका सम्पर्क हरकत-उल-अंसार नामक संगठन से हुआ, जो उस वक्त अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन था। वह उर्दू पत्रिका साद-ए-मुजाहिद्दीन और अरबी पत्रिका सावत-ए-कश्मीर का संपादक भी था।