मराठा आरक्षण पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी लगाई मुहर, जानें इस मामले में कब क्या हुआ?
By आदित्य द्विवेदी | Published: June 27, 2019 07:46 PM2019-06-27T19:46:46+5:302019-06-27T19:46:46+5:30
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि आरक्षण पर फैसला सरकार का अधिकार है। हालांकि कोर्ट ने 16 प्रतिशत आरक्षण पर आपत्ति जताई और कहा कि आरक्षण 12-13 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। मराठा आरक्षण मामले से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है:-
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के मराठा आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा है। गुरुवार को इस कानून का विरोध करने वाली व समर्थन करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने ये फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि आरक्षण पर फैसला सरकार का अधिकार है। हालांकि कोर्ट ने 16 प्रतिशत आरक्षण पर आपत्ति जताई और कहा कि आरक्षण 12-13 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। मराठा आरक्षण मामले से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है:-
जून 2017:महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय के सामाजिक, वित्तीय एवं शैक्षणिक स्थिति के अध्ययन के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया।
जुलाई 2018: मराठा समुदाय ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर पूरे महाराष्ट्र में छिटपुट हिंसा की।
15 नवंबर 2018: आयोग ने महाराष्ट्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
30 नवंबर 2018: महाराष्ट्र विधानसभा ने मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव वाला विधेयक पारित किया, सरकार ने इस समुदाय को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग घोषित किया।
30 नवंबर 2018: महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने विधेयक को मंजूरी दी।
03 दिसंबर 2018: बंबई उच्च न्यायालय में आरक्षण के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर। इनमें कहा गया कि यह सुप्रीम कोर्ट के किसी भी राज्य में आरक्षण 50 फीसदी की सीमा से अधिक नहीं होने का उल्लंघन है।
05 दिसंबर 2018: बंबई उच्च न्यायालय ने आरक्षण के फैसले पर अंतरिम रोक से इंकार किया लेकिन याचिकाओं को अंतिम सुनवाई के लिए रखा।
18 जनवरी 2019: महाराष्ट्र सरकार ने हलफनामा दायर किया, मराठा समुदाय को आरक्षण के फैसले को सही बताया
06 फरवरी 2019: न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने आरक्षण के मुद्दे से जुड़ी सभी याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू की।
26 मार्च 2019: उच्च न्यायालय ने याचिकाओं पर दलीलें सुनने का काम पूरा किया। फैसला सुरक्षित रखा।
27 जून 2019: उच्च न्यायालय ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी लेकिन सरकार से आरक्षण 16 प्रतिशत से घटाकर 12 से 13 प्रतिशत करने को कहा।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर