महाराष्ट्र पुलिस विभाग की विश्वसनीयता पर इस साल उठे कई सवाल

By भाषा | Updated: December 22, 2021 13:46 IST2021-12-22T13:46:46+5:302021-12-22T13:46:46+5:30

Many questions have been raised this year on the credibility of Maharashtra Police Department. | महाराष्ट्र पुलिस विभाग की विश्वसनीयता पर इस साल उठे कई सवाल

महाराष्ट्र पुलिस विभाग की विश्वसनीयता पर इस साल उठे कई सवाल

मुंबई, 22 दिसंबर महाराष्ट्र पुलिस विभाग की विश्वसनीयता पर इस साल जितने सवाल उठे, उतने शायद पहले कभी नहीं उठे थे। कुछ बडे़ अधिकारियों और पूर्व पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामले दर्ज हुए, तो कुछ जेल ही पहुंच गए।

उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर ‘एंटीलिया’ के बाहर से विस्फोट बरामद होने, उद्योगपति मनसुख हिरन की हत्या के मामले में पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की गिरफ्तारी हुई, जिन्हें अब बर्खास्त कर दिया गया है। इसके बाद भ्रष्टाचार के कई मामलों में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह का निलंबन हुई। ये सब घटनाक्रम महाराष्ट्र पुलिस की इस साल रही स्थिति को बयां करते हैं।

भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर गृह मंत्री के पद से इस्तीफा देने के सात महीने बाद इस साल नवंबर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अनिल देशमुख की गिरफ्तारी हुई। वहीं, अक्टूबर में एक क्रूज़ पर से मादक पदार्थों की कथित बरामदगी के मामले में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के अधिकारी समीर वानखेड़े के धर्म-जाति को लेकर उत्पन्न हुआ विवाद भी इस साल चर्चा का विषय बना। इसने राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के आचरण पर भी सवाल उठाए।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने इस साल मार्च में एंटीलिया विस्फाटक सामग्री मामले और व्यवसायी मनसुख हिरेन की हत्या में तत्कालीन सहायक पुलिस निरीक्षक (एपीआई) सचिन वाजे को बतौर मुख्य आरोपी गिरफ्तार किया था। उनके साथ, पूर्व ‘‘मुठभेड़ विशेषज्ञ’’ अधिकारी प्रदीप शर्मा, पुलिस निरीक्षक सुनील माने, एपीआई रियाजुद्दीन काजी सहित कुछ अन्य लोगों को भी मामले में गिरफ्तार किया गया। 17 मार्च को तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से स्थानांतरित करने की घोषणा की। इसके बाद, सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर तत्कालीन गृह मंत्री देखमुख पर प्रतिमाह बार तथा रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये की उगाही करने का आरोप लगाया।

इस पूरे, घटनाक्रम के बाद पांच अप्रैल को देशमुख ने गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दिया और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अदालत के आदेश के बाद उनके खिलाफ जांच शुरू की। इसके बाद 11 मई को मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंप दी गई और दो नवंबर को देशमुख को गिरफ्तार किया गया।

पुलिस विभाग में चल रहीं इन गतिविधियों पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘ जब लोग कोविड-19 के दौरान पुलिस कर्मियों के काम के लिए उनकी प्रशंसा कर रहे थे, तब वाजे जैसे अधिकारियों ने बल की छवि को धूमिल किया।’’

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त जूलियो रिबेरो ने वाजे को पुलिस की वर्दी में ‘‘गुंडा’’ और सिंह को पुलिस बल पर ‘‘दाग’’ बताया है।

इस बीच, अक्टूबर में स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा मादक पदार्थ के एक मामले में बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी ने राजनीतिक घमासान पैदा कर दिया था। राष्टवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मंत्री नवाब मलिक ने एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ कई आरोप लगाए और इसने भी राज्य में अधिकारियों की छवि धूमिल की।

आर्यन पर मादक पदार्थ लेने और उसका वितरण करने का आरोप है। बहरहाल, एजेंसी अदालत में अपने दावों को साबित करने में नाकाम रही और आर्यन को जेल में 26 दिन बिताने के बाद जमानत दे दी गयी। बाद में आर्यन को एनसीबी कार्यालय में हर शुक्रवार को पेश होने की अनिवार्यता से भी छूट दे दी गयी। वहीं, मलिक ने एनसीबी के मंडल निदेशक वानखेड़े पर फिरौती के लिए आर्यन का अपहरण करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वानखेड़े ने अनुसूचित जाति के आरक्षण के तहत नौकरी हासिल करने के लिए फर्जी जाति प्रमाणपत्र दिया।

इसके बाद, भारतीय सेवा अधिकारी (आईपीएस) रश्मि शुक्ला द्वारा महाराष्ट्र में पुलिस तबादलों में 'भ्रष्टाचार' के बारे में तैयार की गई एक रिपोर्ट के कथित तौर पर लीक होने का मामला एक बार फिर चर्चा में आया और आरोप लगाया गया कि जांच के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों और राजनेताओं के कॉल को अवैध रूप से ‘इंटरसेप्ट’ किया गया था। शुक्ला ने यह रिपोर्ट तब तैयार की थी, जब वह राज्य खुफिया विभाग (एसआईडी) का नेतृत्व कर रहीं थी।

वहीं, 13 नवंबर को पुलिस मुठभेड़ में गढ़चिरौली में 25 नक्सलियों के साथ नक्सल नेता मिलिंद तेलतुम्बडे की हत्या को पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता माना गया। इसके साथ ही कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान पुलिस कर्मियों की नि:स्वार्थ सेवा ने भी सभी का दिल जीता।

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Web Title: Many questions have been raised this year on the credibility of Maharashtra Police Department.

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