कोविड-19 से ठीक हुए कई मरीज ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ संक्रमण का कर रहे सामना
By भाषा | Published: May 8, 2021 10:42 PM2021-05-08T22:42:31+5:302021-05-08T22:42:31+5:30
अहमदाबाद/ मुंबई, आठ मई कवक संक्रमण ‘म्यूकोरमाइकोसिस’गंभीर है लेकिन दुर्लभ है। हालांकि, महाराष्ट्र और गुजरात के स्वास्थ्य अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि इस संक्रमण के मामले कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में बढ़ रहे हैं और जिसकी वजह से उनमें आंखों की रोशनी चले जाना और अन्य जटिलताएं उत्पन्न हो रही है।
सूरत स्थित किरण सुपर मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल के अध्यक्ष माथुर सवानी ने बताया कि कोविड-19 से तीन हफ्ते पहले ठीक हुए मरीज में म्यूकोरमाइकोसिस का पता चला है।
सवानी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘कवक संक्रमण के लिए 50 रोगियों का इलाज चल रहा है जबकि 60 और मरीज इसके इलाज का इंतजार कर रहे हैं।’’
उन्होंने बताया कि अबतक सात मरीज अपनी आंखों की रोशनी गंवा चुके हैं।
रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर प्रभारी डॉ.केतन नाइक ने बताया कि म्यूकोरमाइकोसिस के बढ़ते मरीजों को देखते हुए सूरत सिविल अस्पताल में उनका इलाज करने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है।
अहमदाबाद के आरवा सिविल अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि रोजाना कम से कम पांच म्योकोरमाइकोसिस मरीजों का ऑपरेशन हो रहा है।
अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में आंख-कान-नाक के डॉक्टर देवांग गुप्ता ने बताया, ‘‘यहां हमारे पास रोज पांच से 10 मरीज म्यूकोरमाइकोसिस के आ रहे हैं, खासतौर पर कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद। इन मरीजों की प्राथमिकता के आधार पर जांच की जा रही है और यथाशीघ्र ऑपरेशन किया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पांच में से एक मरीज आंखों से जुड़ी समस्या लेकर आ रहा है। उनमें से कई अंधेपन का सामना कर रहे हैं।’’
महाराष्ट्र में म्यूकोरमाइकोसिस (कवक संक्रमण) से कम से कम आठ लोग अपनी दृष्टि खो चुके हैं। ये लोग कोविड-19 को मात दे चुके थे, लेकिन काले कवक की चपेट में आ गए। राज्य में ऐसे लगभग 200 मरीजों का उपचार चल रहा है।
चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) के प्रमुख, डॉक्टर तात्याराव लहाने ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘ वे लोग कोविड-19 से बच गए थे, लेकिन कवक संक्रमण ने उनकी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला किया।’’
डॉ.लहाने ने पहले कहा था कि आठ कोविड-19 मरीजों की मौत हुई है लेकिन बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि अनजाने में उन्होंने ऐसा कहा।
डॉक्टर लहाने ने कहा कि कवक संक्रमण की बीमारी के बारे में पहले से ही पता है, लेकिन इसके मामले कोविड-19 संबंधी जटिलताओं की वजह से बढ़ रहे हैं जिसमें स्टेरॉइड दवाओं का इस्तेमाल कई बार रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ा देता है और कुछ दवाओं का परिणाम रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के रूप में निकलता है।
उन्होंने बताया, ‘‘ऐसी परिस्थिति में कवक मरीज को आसानी से संक्रमित कर देता है। ऐसे ही एक मामले में मरीज की आंख स्थायी रूप से निकालनी पड़ी ताकि उसकी जान बचाई जा सके।’’
उन्होंने बताया कि यह कवक वातावरण में मौजूद रहता है और कमजोर प्रतिरक्षण क्षमता या अन्य जटिल बीमारियों की वजह से संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
डॉ.लहाने ने बताया कि म्यूकोरमाइकोसिस का लक्षण सिरदर्द, बुखार, आंखों के नीचे दर्द, नाक या साइनस में जकड़न और आंशिक रूप से दृष्टि बाधित होना है।
उन्होंने बताया कि इसके इलाज के लिए 21 दिनों तक इंजेक्शन लगाना पड़ता है और एक दिन के इंजेक्शन का खर्च करीब नौ हजार रुपये है।
मुंबई स्थित सरकारी केईएम अस्पताल में नाक-गला-आंख विभा्ग के प्रोफेसर डॉ.हेतल मार्फतिया ने कहा कि पिछले दो हफ्ते में म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों में वृद्धि हुई है और रोजाना दो से तीन मरीज आ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि कई मरीज मुंबई के बाहर से आ रहे हैं और इलाज का खर्च वह नहीं कर पा रहे हैं।
डॉ.मार्फतिया ने बताया कि इस कवक संक्रमण की जानकारी कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान मिली, खासतौर पर संक्रमण मुक्त होने के कुछ हफ्तों के बाद।
उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन अब कोविड-19 इलाज के दौरान भी मरीज इस संक्रमण की चपेट में आ जा रहे हैं।’’
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने भी शुक्रवार को कहा था कि कोविड-19 मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस के मामले आ रहे हैं।
उन्होंने बताया, ‘‘ यह म्यूकोर नामक कवक की वजह से होता है जो गीले सतह पर पाए जाते हैं। काफी हद तक यह संक्रमण मधुमेह के मरीजों में होता है और सामान्य तौर पर गैर मधुमेह मरीजों में यह नही होता है। अबतक अधिक मामले नहीं आए हैं, हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।
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