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NEET-JEE परीक्षा के विरोध में कई पार्टियां, राहुल गांधी ने कहा- लाखों छात्र के मन की बात सुने सरकार

By पल्लवी कुमारी | Updated: August 23, 2020 15:41 IST

जुलाई में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कोविड-19 की तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाएं नीट NEET (UG) और जेईई (JEE (Main) सितंबर तक स्थगित कर दी थी। हालांकि उनको फिर से कराने के लिए तारीखों का ऐलान किया गया है।

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ठळक मुद्देकांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने JEE और NEET की परीक्षाएं रोकने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा- मेरी केंद्र से विनती है कि पूरे देश में ये दोनों परीक्षाएं JEE और NEET तुरंत रद्द करें।

नई दिल्ली: राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने 21 अगस्त को घोषणा की थी कि JEE (Main) परीक्षा 1 से 6 सितंबर तक और NEET (UG) परीक्षा 13 सितंबर को आयोजित कराई जाएगी। केंद्र सरकार के इस ऐलान के बाद कांग्रेस सहित देश की कई पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं। उसके अलावा सोशल मीडिया पर भी विरोध प्रदर्शन देख जा रहे हैं, जिसमें छात्रों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। अब इस मामले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और माजूदा सांसद राहुल गांधी का बयान आया है। उन्होंने कहा है कि सरकार को लाखों छात्रों की बात सुननी चाहिए। 

राहुल गांधी ने रविवार ( 23 अगस्त) को ट्वीट किया, ''आज हमारे लाखों छात्र सरकार से कुछ कह रहे हैं। NEET, JEE परीक्षा के बारे में उनकी बात सुनी जानी चाहिए और सरकार को एक सार्थक हल निकालना चाहिए। सरकार को छात्रों के मन की बात सुननी चाहिए और उसका एक हल निकालना चाहिए।''

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने जेईई और एनईईटी की परीक्षा टालने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि कोरोना काल में छात्रों का परीक्षा लेना सही नहीं है।

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने भी JEE-NEET परीक्षाएं कैंसिल करने की उठाई मांग 

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया, JEE-NEET की परीक्षा के नाम पर लाखों छात्रों की जिंदगी से खेल रही है केंद्र सरकार। मेरी केंद्र से विनती है कि पूरे देश में ये दोनों परीक्षाएं तुरंत रद्द करें और इस साल एडमिशन की वैकल्पिक व्यवस्था करे। अभूतपूर्व संकट के इस समय में अभूतपूर्व कदम से ही समाधान निकलेगा। 

मनीष सिसोदिया ने लिखा, ये सोच कि केवल NEET-JEE परीक्षा ही एडमिशन का एकमात्र विकल्प है, बेहद संकुचित और अव्यवहारिक सोच है। दुनिया भर में शिक्षण संस्थान एडमिशन के नए नए तरीके अपना रहे हैं। हम भारत में क्यों नहीं कर सकते? बच्चों की जिंदगी प्रवेश परीक्षा के नाम पर दांव पर लगाना कहां की समझदारी है?

एक अन्य ट्वीट में मनीष सिसोदिया ने लिखा, आज 21वीं सदी के भारत में हम एक प्रवेश परीक्षा का विकल्प नहीं सोच सकते! यह सम्भव नहीं है। केवल सरकार की नीयत छात्रों के हित में सोचने की होनी चाहिए NEET-JEEE की जगह सुरक्षित तरीके तो हजार हो सकते हैं।

जुलाई में केन्द्र सरकार ने JEE-NEET की परीक्षाएं सितंबर तक स्थगित कर दी थी 

जुलाई में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कोविड-19 की तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाएं नीट और जेईई सितंबर तक स्थगित कर दी थी। जुलाई में परीक्षाएं कराने की संभावनाओं की समीक्षा करने के लिए गठित चार सदस्यीय समिति की सलाह पर यह फैसला लिया गया था। 

केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ने जुलाई में कहा था कि छात्रों की सुरक्षा और शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए हमने जेईई और नीट परीक्षाएं स्थगित करने का फैसला लिया है। जेईई-मेन परीक्षा एक से छह सितंबर तक होगी, जबकि जेईई-एडवांस परीक्षा 27 सितंबर को होगी। नीट की परीक्षा 13 सितंबर को होगी।

कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा होने के कारण इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षाएं पहली बार पांच मई को स्थगित की गई थीं। मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट 26 जुलाई को और जेईई-मेन्स 18 से 23 जुलाई को होने तय थे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा ली जाने वाली जेईई-एडवांस परीक्षा 23 अगस्त को होनी थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज की JEE और NEET परीक्षाएं स्थगित करने वाली याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को कोविड-19 महामारी के मद्देनजर  JEE (Main) प्रैल, 2020 और NEET (UG) की सितंबर में होने वाली परीक्षायें स्थगित करने के लिये दायर याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा, छात्रों का कीमती वर्ष बर्बाद नहीं किया जा सकता और जीवन चलते रहना है।

 न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा , न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इस मामले की सुनवाई करते हुये कहा था कि छात्रों के शैक्षणिक जीवन को लंबे समय तक जोखिम में नहीं डाला जा सकता। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार परीक्षाओं के आयोजन का मार्ग प्रशस्त करते हुये पीठ ने कहा, जीवन चलते रहना है। जीवन को आगे बढ़ना है। छात्रों का कीमती साल बर्बाद नही किया जा सकता।

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